नए साल पर बदला ट्रेंड: डिस्को और हिल स्टेशन छोड़ युवा चुन रहे धार्मिक पर्यटन

लखनऊ, 31 दिसंबर (हि.स.)। नए साल के जश्न का स्वरूप उत्तर प्रदेश में तेजी से बदलता नजर आ रहा है। जहां कुछ वर्ष पहले तक युवा वर्ग नए साल का स्वागत पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर डिस्को, होटल, रेस्टोरेंट और हिल स्टेशनों में करता था, वहीं अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। मुख्यमंत्री Yogi Adityanath के नेतृत्व में बीते पौने नौ वर्षों में प्रदेश में हुए धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन विकास का असर यह है कि अब बड़ी संख्या में युवा नए साल की शुरुआत काशी, मथुरा-वृंदावन और अयोध्या जैसे सनातन आस्था के केंद्रों में दर्शन-पूजन के साथ कर रहे हैं।

काशी, अयोध्या और मथुरा में उमड़ा युवाओं का सैलाब

पर्यटन विभाग के अनुसार, नए साल से पहले ही प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की संख्या में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। Ayodhya में 29 और 30 दिसंबर को ही भगवान श्रीराम के दर्शन के लिए पांच लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जिनमें युवाओं की संख्या सबसे अधिक रही। इसी तरह Kashi Vishwanath Corridor में पिछले तीन दिनों में करीब दस लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जबकि Mathura और वृंदावन में तीन लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंचे। प्रशासन का अनुमान है कि 31 दिसंबर और 1 जनवरी को यह संख्या और भी बढ़ सकती है, जिसे देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्थाओं को और मजबूत किया गया है।

सोशल मीडिया पर भी दिखा आध्यात्मिक नववर्ष का उत्साह

नए साल को धार्मिक स्थलों में मनाने का यह रुझान सोशल मीडिया पर भी साफ नजर आ रहा है। ‘न्यू ईयर इन अयोध्या’, ‘न्यू ईयर इन काशी’ और ‘स्पिरिचुअल न्यू ईयर’ जैसे हैशटैग तेजी से ट्रेंड कर रहे हैं। युवा दर्शन-पूजन के बाद परिवार और मित्रों के साथ ली गई तस्वीरें और वीडियो साझा कर रहे हैं। यह वही प्रवृत्ति है, जो पिछले वर्ष Prayagraj Mahakumbh के दौरान देखने को मिली थी, जब देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने विश्व रिकॉर्ड संख्या में सहभागिता की थी।

सनातन संस्कृति की ओर युवाओं का बढ़ता झुकाव

काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी Vishwabhushan Mishra का कहना है कि सनातन संस्कृति उत्सव, उल्लास और जीवन के संतुलन की आधारशिला है। वर्तमान समय में चाहे भारतीय पर्व हों या पश्चिमी नववर्ष, सनातन आस्था के केंद्रों पर श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि समाज एक बार फिर अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौट रहा है।

VRINDAVAN

योगी सरकार के प्रयासों से बदली तीर्थों की तस्वीर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और उससे जुड़े आयोजनों, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण, मथुरा-वृंदावन, तीर्थराज प्रयागराज, विंध्याचल, नैमिषारण्य, संभल और मुजफ्फरनगर के शुक्रतीर्थ जैसे प्राचीन धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार ने प्रदेश की धार्मिक पहचान को नई ऊंचाई दी है। ये वही स्थल हैं, जो पूर्ववर्ती सरकारों के समय उपेक्षा का शिकार थे।

कनेक्टिविटी और सुविधाओं ने बढ़ाया आकर्षण

प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों तक सड़क, रेल और हवाई संपर्क के विस्तार के साथ-साथ ठहरने, होटल और रेस्टोरेंट जैसी सुविधाओं का विकास हुआ है। पर्यटन और संस्कृति विभाग द्वारा समय-समय पर आयोजित दिव्य-भव्य उत्सवों ने भी युवाओं में धार्मिक पर्यटन के प्रति आकर्षण को और मजबूत किया है। इन प्रयासों से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिला है, बल्कि युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर भी मिला है।

सांस्कृतिक पुनर्जागरण की नई लहर

उत्तर प्रदेश में यह बदलाव केवल पर्यटन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संकेत है। युवा वर्ग अब मनोरंजन के साथ-साथ आत्मिक शांति, सांस्कृतिक पहचान और सनातन मूल्यों को भी अपने जीवन का हिस्सा बना रहा है। यही कारण है कि नए साल का स्वागत अब मंदिरों, तीर्थों और आध्यात्मिक स्थलों में श्रद्धा और आस्था के साथ किया जा रहा है।

अयोध्या-मथुरा और काशी बनेंगे 40 हजार करोड़ के निवेश के साक्षी, अन्य धार्मिक  स्थलों पर भी निवेश परियोजनाओं की होगी शुरुआत - ayodhya mathura and kashi  will ...

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