मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे वन में छोड़े जाने की प्रक्रिया; 3 वर्षों में 6 बार हुआ सफल प्रजनन, प्रोजेक्ट चीता को मिला राष्ट्रीय सम्मान
भोपाल। अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी उपलब्धियों से चमकने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार 4 दिसंबर को श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में तीन चीतों को बड़े बाड़े से खुले जंगल में छोड़ेंगे। यह कार्यक्रम न केवल संरक्षण परियोजना का अगला चरण है, बल्कि भारत में चीतों के पुनर्वास की दिशा में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि का प्रतीक भी है।
प्रधानमंत्री की पहल के बाद शुरू हुआ नया अध्याय
भारत में चीता संरक्षण का आधुनिक अध्याय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से प्रारंभ हुआ।
17 सितंबर 2022 को अपने जन्म दिवस पर प्रधानमंत्री ने नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो पालपुर में छोड़कर इस ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत की थी।
इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से भी 12 चीते भारत लाए गए।
धीरे-धीरे सभी चीतों को क्वारेंटीन प्रक्रिया पूरी करने के बाद खुले जंगल में छोड़ा गया।
चीतों की संख्या बढ़कर 32 हुई
कूनो पालपुर और गांधी सागर अभयारण्य में अब चीतों की कुल संख्या 32 तक पहुँच गई है।
यह आंकड़ा भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि 70 वर्ष पहले चीता प्रजाति देश से विलुप्त घोषित कर दी गई थी।
पिछले 3 वर्षों में 5 मादा चीताओं ने 6 बार शावकों को जन्म दिया है।
यह प्रोजेक्ट चीता की मजबूती, अनुकूलन क्षमता और संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
मध्यप्रदेश बना ‘चीता स्टेट’
राज्य सरकार ने चीता पुनर्वास को शीर्ष प्राथमिकता दी है।
चीतों की बढ़ती आबादी, सफल प्रजनन और सुरक्षित आवास के कारण मध्यप्रदेश देश का पहला ‘चीता स्टेट’ बन चुका है।
यह वह राज्य है जहाँ चीतों की संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ रही है और अनुकूल वातावरण ने उन्हें तेजी से पनपने में मदद की है।
इसके अलावा बोत्सवाना ने भी भारत को 8 और चीते भेंट किए हैं, जिन्हें शीघ्र ही भारत लाया जाएगा।
इनोवेटिव इनिशिएटिव्स अवॉर्ड से सम्मानित
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रोजेक्ट चीता को “इनौवेटिव इनिशिएटिव्स अवॉर्ड” से भी सम्मानित किया गया है।
यह पुरस्कार वन्यजीव संरक्षण में नई सोच, तकनीक और आधुनिक प्रबंधन के उपयोग को मान्यता देता है।
चीता दिवस का उद्देश्य
अंतर्राष्ट्रीय चीता दिवस का उद्देश्य:
चीतों की घटती जनसंख्या,
आवास नष्ट होने की समस्या,
शिकार और अनधिकृत व्यापार,
जैसी चिंताओं को उजागर करना और संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयासों को मजबूत करना है।
कूनो में चीतों की लगातार बढ़ती आबादी यह संकेत देती है कि भारत ने संरक्षण की दिशा में दुनिया को एक प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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