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April 25, 2025 6:41 AM

यह मंच युवा पीढ़ी को नई दिशा प्रदान करेगा: मुख्यमंत्री

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परंपरा और प्रगति के बीच सामंजस्य बैठाते हुए आधुनिकता से जोड़ने का माध्यम बना ट्रांसोम 2025
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स के सम्मेलन का किया शुभारंभ

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को राजधानी भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स—एमपी चैप्टर के सम्मेलन “ट्रांसोम 2025” का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने इसे परंपरा और प्रगति के बीच संतुलन स्थापित करने वाला मंच बताया और कहा कि यह कार्यक्रम युवा पीढ़ी को नई दिशा देगा और मध्यप्रदेश की विकास यात्रा में वास्तुशिल्प के योगदान को नई ऊँचाई प्रदान करेगा।

डॉ. यादव ने अपने संबोधन में कहा कि यह अधिवेशन वास्तु और संस्कृति के समन्वय का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “हमारे देश की समृद्ध विरासत और आधुनिक तकनीकों का सम्मिलन युवाओं को न सिर्फ प्रेरणा देगा बल्कि वास्तुकला के क्षेत्र में नए आयाम भी स्थापित करेगा।”


भोपाल के स्थापत्य में दिखती है सदियों पुरानी दक्षता

मुख्यमंत्री ने भोपाल की स्थापत्य परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि राजधानी में राजा भोज की स्थापत्य दृष्टि आज भी जीवंत है। उन्होंने कहा, “भोपाल का तालाब दरअसल एक बांध है, जो एक हजार साल पहले निर्मित हुआ था और आज भी मजबूती से खड़ा है। यह उत्कृष्ट जलरचना है, जिसमें न्यूनतम व्यय में अधिकतम जल संचयन किया गया। इसका डिस्चार्ज क्षेत्रफल बहुत छोटा है, जो इसके निर्माण की इंजीनियरिंग दक्षता को दर्शाता है।”


महाकाल की जीवनदृष्टि से जुड़ा वास्तुकला का दर्शन

मुख्यमंत्री ने इस दौरान उज्जैन और महाकाल की बात करते हुए जीवन के आध्यात्मिक पक्ष को भी जोड़ा। उन्होंने कहा, “हमारा जीवन हर सांस पर निर्भर है। जीवन और मृत्यु के बीच का यही समय, काल का समय है, और यही महाकाल का समय है। महाकाल हमें जीवन की व्यापक दृष्टि देता है।”

उन्होंने भोजपुर के अधूरे मंदिर की चर्चा करते हुए कहा कि उसमें आज भी वास्तु गणित की स्पष्टता झलकती है। साथ ही उन्होंने मांडव के राजा मुंज द्वारा बनाए गए तालाब की बात करते हुए कहा कि इन ऐतिहासिक जलरचनाओं से हमें पर्यावरणीय संतुलन और निर्माण के प्रति नई सीख मिलती है।


युवा आर्किटेक्ट्स के लिए प्रेरणास्रोत है यह अधिवेशन

मुख्यमंत्री ने आर्किटेक्ट्स को संबोधित करते हुए कहा कि वे आज के विश्वकर्मा हैं। उनकी दृष्टि और रचना से ही नया भारत आकार लेगा। उन्होंने कहा, “हमारे युवा आर्किटेक्ट्स को इस मंच से परंपरा, दर्शन और तकनीक के समन्वय को समझने और आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिलेगी।”

कार्यक्रम में राज्यभर से वास्तुविद, छात्र और विशेषज्ञ शामिल हुए। इस सम्मेलन में आधुनिक वास्तुकला, हरित निर्माण तकनीक, और स्मार्ट शहरों की डिजाइन से जुड़े कई सत्र आयोजित किए जाएंगे।


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