नई दिल्ली। प्रयागराज महाकुम्भ में हाल ही में हुई भगदड़ के कारण दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी, और अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है। वकील विशाल तिवारी ने इस मामले में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने महाकुम्भ में हुई भगदड़ की विस्तृत जांच और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। तिवारी ने याचिका में यह भी कहा है कि सरकार को इस घटना की स्टेटस रिपोर्ट पेश करनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि ऐसी घटनाओं को रोका क्यों नहीं जा सका और जिम्मेदार व्यक्तियों को किन कारणों से अब तक जवाबदेह नहीं ठहराया गया।
याचिका में क्या है मांग?
विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में प्रमुख रूप से कुछ अहम सुझाव दिए हैं:
- सभी राज्यों के सुविधा केंद्र: याचिका में यह मांग की गई है कि प्रयागराज कुम्भ मेला क्षेत्र में विभिन्न राज्यों के लिए सुविधा केंद्र खोले जाएं, ताकि गैर हिंदी भाषी श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। यह कदम भाषा की समस्या को हल करने के लिए उठाया जा सकता है, जिससे हर राज्य के श्रद्धालुओं को उनकी मातृभाषा में मदद मिल सके।
- वीआईपी मूवमेंट पर सवाल: याचिका में वीआईपी मूवमेंट पर भी सवाल उठाए गए हैं, और यह मांग की गई है कि बड़े धार्मिक आयोजनों में वीआईपी मूवमेंट को नियंत्रित किया जाए। इससे अधिक से अधिक जगह आम लोगों के लिए उपलब्ध हो सकेगी और भगदड़ जैसी घटनाओं से बचा जा सकेगा।
- डिस्प्ले बोर्ड और सूचना का प्रसार: याचिका में यह भी कहा गया है कि बड़े धार्मिक आयोजनों में भगदड़ से बचने के लिए देश की प्रमुख भाषाओं में डिस्प्ले बोर्ड लगाए जाएं, ताकि श्रद्धालुओं को सही जानकारी मिल सके। इसके अलावा, मोबाइल और व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से राज्यों को अपने तीर्थयात्रियों को समय-समय पर जानकारी देने का भी प्रस्ताव दिया गया है।
- आपातकालीन प्रबंधों में सुधार: याचिका में यह भी सुझाव दिया गया है कि बड़े धार्मिक आयोजनों में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपातकालीन प्रबंधों में सुधार किया जाए और भगदड़ जैसी घटनाओं से बचने के लिए बेहतर रणनीतियाँ बनाई जाएं।
महाकुम्भ में भगदड़ की घटना
पिछले दिनों प्रयागराज महाकुम्भ में हुए हादसे ने देशभर में गहरी चिंता और शोक की लहर दौड़ा दी थी। भगदड़ में कई श्रद्धालु घायल हो गए थे और कई की जान भी चली गई थी। इस घटना ने आयोजन की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए थे, और इस कारण अब सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई हो रही है।