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February 9, 2025 7:48 AM

सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए लिखा, “भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान अद्वितीय है। वे साहस और धैर्य के प्रतीक थे। उनका विजन हमें प्रेरित करता है क्योंकि हम उनके सपनों के भारत के निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं।”

सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनका जीवन भारतवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके विचार और देशभक्ति के प्रति उनकी निष्ठा आज भी देश को प्रेरित करती है।

NEW DELHI, JAN 23 (UNI):- Prime Minister Narendra Modi, Defence Minister Rajnath Singh, Lok Sabha Speaker Om Birla and Congress President Mallikarjun Kharge pose for a photograph after offering tribute to Netaji Subhas Chandra Bose on his birth anniversary, at the Central Hall of Samvidhan Bhavan, in New Delhi on Thursday. UNI PHOTO PSB1U

नेताजी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनका परिवार संपन्न और शिक्षित था। उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रतिष्ठित वकील थे। सुभाष चंद्र बोस 9 भाई-बहनों में से एक थे।

सुभाष बचपन से ही अत्यंत मेधावी छात्र थे। कटक में प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्होंने कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। सुभाष चंद्र बोस ने अपनी स्नातक की शिक्षा स्कॉटिश चर्च कॉलेज से पूरी की और दर्शनशास्त्र में डिग्री हासिल की।

स्नातक के बाद, वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वहां उन्होंने प्रतिष्ठित सिविल सर्विस परीक्षा (आईसीएस) में भाग लिया और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर मेरिट लिस्ट में चौथा स्थान प्राप्त किया। यह उस समय की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती थी।

देशभक्ति का निर्णय और करियर का त्याग
हालांकि सुभाष चंद्र बोस ने आईसीएस परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन उनके मन में भारत की स्वतंत्रता का जुनून था। इसलिए उन्होंने अंग्रेजों की नौकरी ठुकरा दी और देश की सेवा करने का फैसला किया। यह कदम उनके देशप्रेम और साहस को दर्शाता है।

भारत लौटने के बाद, सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर कांग्रेस पार्टी से जुड़ने का निर्णय लिया। लेकिन उनके विचारों में आक्रामकता थी और वे स्वतंत्रता के लिए अधिक क्रांतिकारी दृष्टिकोण रखते थे।

NEW DELHI, JAN 23 (UNI):- PPrime Minister Narendra Modi interacts with students after paying tribute to Netaji Subhas Chandra Bose on his birth anniversary, at the Central Hall of Samvidhan Sadan, in New Delhi on Thursday. UNI PHOTO PSB12U

आजादी की लड़ाई में योगदान
सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) का गठन किया और “दिल्ली चलो” का नारा दिया। उनकी सेना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका प्रसिद्ध कथन, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा,” आज भी भारतीयों के दिलों में गूंजता है।

आज भी प्रासंगिक है नेताजी का जीवन और विचार
सुभाष चंद्र बोस का जीवन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सही दृष्टिकोण और मजबूत इरादों के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर देशवासियों से नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेने और उनके सपनों के भारत का निर्माण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नेताजी का विजन “आत्मनिर्भर भारत” के उद्देश्य से मेल खाता है और उनके आदर्शों को आत्मसात करना आज की पीढ़ी की जिम्मेदारी है।

उपसंहार
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के अवसर पर पूरा देश उनके साहस, निष्ठा और देशप्रेम को याद कर रहा है। उनकी जीवन यात्रा और संघर्षशीलता हर भारतीय को अपने कर्तव्यों और देशभक्ति के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा देती है। नेताजी का योगदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय था और उनकी विरासत हमेशा अमर रहेगी।


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