- ‘वी द वूमन ऑफ इंडिया’ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 17 मार्च के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था
नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस विवादास्पद आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि स्तन पकड़ना या पायजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार का प्रयास नहीं माना जाएगा और अभियोजन पक्ष को बलात्कार के आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए तैयारी के इस चरण से आगे जाना होगा। शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी, जब संगठन ‘वी द वूमन ऑफ इंडिया’ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 17 मार्च के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह फैसला उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की ओर से “संवेदनशीलता की कमी” को दर्शाता है। उन्होने कहा कि यह निर्णय तत्काल नहीं लिया गया था और इसे सुरक्षित रखने के 4 महीने बाद सुनाया गया। इस प्रकार, इसमें विवेक का प्रयोग किया गया। हम आमतौर पर इस स्तर पर स्थगन देने में हिचकिचाते हैं। लेकिन चूंकि पैरा 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियाँ कानून के सिद्धांतों से अनभिज्ञ हैं और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। हम उक्त पैरा में की गई टिप्पणियों पर रोक लगाते हैं,” बार और बेंच ने न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने 11 वर्षीय पीड़िता के स्तनों को पकड़ा और उनमें से एक ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे यूपी के कासगंज में पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की।