कर्तव्य पथ पर चलने का दिया मूल मंत्र, बोले- “हमारा समाज सभ्य है, पुलिस गुंडों के लिए है समाज के लिए नहीं”
भोपाल, 7 अप्रैल | स्वदेश ज्योति ब्यूरो
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को भोपाल स्थित प्रशासन अकादमी में राज्य सेवा अधिकारियों के संयुक्त आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने नवागत प्रशिक्षु अधिकारियों को उनके जीवन और प्रशासनिक यात्रा की दिशा देने वाला गहन और प्रेरणादायक संबोधन दिया।
मुख्यमंत्री ने इस प्रशिक्षण को जीवन का नया अध्याय बताते हुए कहा कि यह अवसर न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने का है, बल्कि कर्तव्य, धर्म और समाज की गहरी समझ विकसित करने का भी है।
🎓 प्रशिक्षण दो भागों में, जीवन दर्शन और कर्तव्य की सीख
मुख्यमंत्री ने कहा,
“शिक्षण और प्रशिक्षण जीवनभर चलता है, बचपन से स्कूल में जो शुरुआत हुई थी, वह आपके साथ अब भी जारी है। यह प्रशिक्षण दो भागों में बंटा है — पहला आपके व्यक्तित्व को गढ़ेगा और दूसरा आपकी प्रशासनिक पहचान बनाएगा।”
उन्होंने अधिकारियों को परिवारिक संबंधों के संदर्भ में उनके दायित्व की याद दिलाई। उदाहरण देते हुए कहा,
“हमारे दादा-दादी, नाना-नानी के साथ औसतन 25 साल का रिश्ता होता है, पत्नी 50 साल साथ रहती है, बेटा-बहू भी वर्षों साथ रहते हैं, लेकिन अंततः हम अकेले ही आते हैं और अकेले ही जाते हैं। इसी के बीच में हमें जीवन का सार निकालना है।”
📜 गीता के 16वें अध्याय का उल्लेख, कर्म और आत्मचिंतन पर जोर
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने भाषण में भगवद्गीता के 16वें अध्याय का हवाला देते हुए कहा कि
“भगवान कृष्ण ने बताया है कि कैसे रजस, तमस और सत्व गुणों के बीच रहकर हमें कर्म करते हुए कर्तव्य पर टिके रहना है। आप बर्फ बनेंगे — यानी आप स्थिरता, शीतलता और प्रभाव के प्रतीक होंगे, पर बर्फ जब पिघलेगी तो ही जीवनदायिनी जल बनेगी। इसलिए यह प्रशिक्षण आपको बर्फ बनने का अवसर देता है, ताकि आप सेवा रूप में जल बन सकें।”
👮♂️ पुलिस समाज के लिए नहीं, गुंडों के लिए है
मुख्यमंत्री ने प्रशासन और समाज के संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि
“हमारा समाज सभ्य और मर्यादित है। पुलिस हमारे समाज के लिए नहीं, गुंडों के लिए है। गांव में अगर पुलिस आ जाए तो पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाता है क्योंकि यह समाज में असामान्य माना जाता है। इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसा आचरण करें कि समाज में विश्वास बना रहे।”
उन्होंने प्रशिक्षुओं को अपने भावों की पवित्रता बनाए रखने, आउट ऑफ बॉक्स सोच रखने और काम में सच्चाई व जवाबदेही निभाने की सीख दी।
✈️ जीवन में उड़ान और चुनौती दोनों होंगे
मुख्यमंत्री ने उदाहरण देकर कहा,
“वायुयान उड़ना रोमांचक है, पर उसमें बम भी गिर सकते हैं — मतलब यह कि आपके पास शक्ति है, लेकिन उसका प्रयोग संतुलन से होना चाहिए। आपको जीवन में आत्ममंथन, परिष्करण और सतत विकास का अवसर मिला है।”
उन्होंने यह भी कहा कि ये अधिकारी एक बार सेवा में आ गए तो 30-35 साल तक उन्हें कोई हिला नहीं सकता,
“हम तो हर पांच साल में परीक्षा देकर आते हैं। आपके सामने अब दीर्घकालिक जिम्मेदारी है — इसे आत्मसात कीजिए।”
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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