बेंगलुरू। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में शुक्रवार से प्रारंभ हुई। 21 से 23 मार्च तक चलने वाली इस बैठक का शुभारंभ प्रातः 9:00 बजे सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन कर किया। इस महत्वपूर्ण बैठक में देशभर से लगभग 1450 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में संघ के कार्य विस्तार, वर्तमान सामाजिक स्थिति, संगठन की गतिविधियों और भावी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
संघ मातृभाषा और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के पक्ष में
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सीआर मुकुंद ने स्पष्ट किया कि संघ मातृभाषा को बढ़ावा देने और उसमें शिक्षा दिए जाने का प्रबल समर्थक है। उन्होंने कहा कि संघ स्वयंसेवकों और समाज को अन्य भारतीय भाषाओं को भी सीखने के लिए प्रेरित करता है, जिससे भाषाई विविधता और राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिले। नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तीन भाषा फार्मूले पर चर्चा करते हुए संघ ने कहा कि भाषाओं को लेकर हो रही राजनीति से बचने की आवश्यकता है और भारतीय भाषाओं को सशक्त करने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।
मणिपुर में शांति स्थापित करने के प्रयास
सह सरकार्यवाह मुकुंद ने बताया कि संघ मणिपुर में मैतेई और कुकी दोनों समुदायों में शांति स्थापित करने के प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि संघ विभिन्न सामाजिक संगठनों और समुदायों के साथ मिलकर समन्वय स्थापित कर रहा है ताकि मणिपुर में सद्भाव और स्थिरता बनी रहे।
संघ के कार्यों का विस्तार और संगठन की मजबूती
संघ के संगठनात्मक ढांचे पर बात करते हुए सह सरकार्यवाह ने बताया कि वर्तमान में देशभर में एक करोड़ से अधिक स्वयंसेवक सक्रिय हैं, जिनमें से लगभग 6 लाख स्वयंसेवक प्रतिदिन शाखाओं में जाते हैं। इसके अलावा, कई स्वयंसेवक संघ प्रेरित संगठनों में विभिन्न सामाजिक और राष्ट्रीय गतिविधियों में कार्यरत हैं।
संघ की शाखाओं में उल्लेखनीय वृद्धि
संघ की गतिविधियों के विस्तार पर प्रकाश डालते हुए मुकुंद ने बताया कि देशभर में इस समय 83,139 शाखाएं संचालित हो रही हैं। इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 10,000 नई शाखाओं की वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि 51,710 स्थानों पर दैनिक शाखाएं लगती हैं और 21,936 स्थानों पर साप्ताहिक शाखाएं संचालित होती हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में संघ का बढ़ता प्रभाव
संघ ने पिछले तीन वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अपने विस्तार पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। देशभर के 58,981 ग्रामीण मंडलों में से 30,770 स्थानों पर शाखाएं लग रही हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 3,000 शाखाओं की वृद्धि दर्ज की गई है। यह संघ के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते प्रभाव और समाज के विभिन्न वर्गों में उसकी पहुंच को दर्शाता है।
संघ से जुड़ रहे नए स्वयंसेवक
संघ में नए स्वयंसेवकों के जुड़ने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए मुकुंद ने बताया कि हर वर्ष 14 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के हजारों युवा संघ में शामिल हो रहे हैं। पिछले वर्ष 4,450 प्रारंभिक वर्ग आयोजित किए गए, जिसमें 2.23 लाख नए स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इसके अलावा, ‘जॉइन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ नामक अभियान के माध्यम से अब तक 12 लाख से अधिक लोग संघ से जुड़ चुके हैं, जिनमें से 46,000 महिलाएं भी शामिल हैं।
संघ प्रचारकों का प्रवास और संवाद
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने वर्ष 2024-25 के दौरान देश के 23 प्रांतों का प्रवास किया। उन्होंने प्रत्येक प्रांत में विद्यार्थी शाखा, व्यवसायी शाखा, प्रचारकों के साथ संवाद, कार्यकर्ता बैठकें, समाज के विभिन्न वर्गों के साथ संवाद एवं अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों में भाग लिया।
संघ की आगामी योजनाएं और दृष्टिकोण
संघ ने आगामी वर्षों में अपने संगठनात्मक कार्यों को और मजबूत करने का संकल्प लिया है। समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने, भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने, राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने और सामाजिक समरसता के लिए निरंतर प्रयास जारी रहेंगे।
संघ की यह बैठक संगठन की वर्तमान स्थिति और भविष्य की कार्ययोजनाओं के निर्धारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रही। संघ की बढ़ती शाखाएं, स्वयंसेवकों की संख्या में वृद्धि और समाज में व्यापक प्रभाव दर्शाता है कि संगठन लगातार अपने उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में कार्य कर रहा है।