सियोल। दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री हान डक-सू के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ कोरिया (डीपीके) द्वारा महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है। इस मामले में देश के संवैधानिक न्यायालय ने गुरुवार को घोषणा की कि वह सोमवार सुबह 10:00 बजे हान के महाभियोग को बरकरार रखने या खारिज करने पर अपना फैसला सुनाएगा। इस निर्णय का देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है और इसे राष्ट्रपति यूं सूक-येओल के संभावित निष्कासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है।
महाभियोग की पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री हान डक-सू के खिलाफ यह महाभियोग प्रस्ताव विपक्षी पार्टी डीपीके द्वारा संसद में दायर किया गया था। यह कदम दक्षिण कोरियाई सरकार की नीतियों और हालिया विवादों को लेकर विपक्ष के असंतोष को दर्शाता है। विपक्षी दलों का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने अपने प्रशासन के दौरान विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर विफलता दिखाई है, जिससे सरकार के प्रति अविश्वास बढ़ा है।
संवैधानिक न्यायालय का निर्णय क्यों महत्वपूर्ण?
विशेषज्ञों के अनुसार, प्रधानमंत्री हान डक-सू के खिलाफ महाभियोग पर संवैधानिक न्यायालय का फैसला राष्ट्रपति यूं सूक-येओल के भविष्य के लिए एक लिटमस टेस्ट के रूप में काम कर सकता है। अगर न्यायालय महाभियोग को बरकरार रखता है, तो यह राष्ट्रपति यूं के खिलाफ भविष्य में संभावित महाभियोग प्रस्ताव को भी बल दे सकता है।
हालांकि, अभी तक संवैधानिक न्यायालय ने राष्ट्रपति यूं सूक-येओल द्वारा 3 दिसंबर को घोषित मार्शल लॉ के महाभियोग परीक्षण पर फैसले की तारीख का खुलासा नहीं किया है। यह मुद्दा भी राजनीतिक रूप से अत्यधिक संवेदनशील है और देश की स्थिरता के लिए अहम साबित हो सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय
दक्षिण कोरिया में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हान डक-सू को उनके पद से हटाया जाता है, तो इससे सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ सकते हैं। विपक्षी पार्टी डीपीके और अन्य राजनीतिक दल इस फैसले को सरकार के खिलाफ एक बड़ी जीत के रूप में देख सकते हैं। वहीं, सत्तारूढ़ दल इस प्रक्रिया को सत्ता संघर्ष का हिस्सा मान रहा है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हान डक-सू को पद से हटाया जाता है, तो इसका सीधा असर राष्ट्रपति यूं सूक-येओल पर भी पड़ेगा। यह फैसला दक्षिण कोरियाई जनता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे यह संकेत मिलेगा कि मौजूदा सरकार की नीतियों को लेकर जनता और न्यायपालिका का क्या रुख है।
आगे की संभावनाएं
सोमवार को आने वाले संवैधानिक न्यायालय के फैसले के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि प्रधानमंत्री हान डक-सू अपने पद पर बने रहेंगे या उन्हें हटाया जाएगा। अगर महाभियोग बरकरार रखा जाता है, तो सत्तारूढ़ दल को नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति करनी होगी, जिससे सरकार में अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। वहीं, अगर महाभियोग खारिज कर दिया जाता है, तो सरकार और विपक्ष के बीच संघर्ष और तेज होने की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस फैसले का असर सिर्फ प्रधानमंत्री तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राष्ट्रपति यूं सूक-येओल के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दक्षिण कोरिया की राजनीति इस फैसले के बाद किस दिशा में आगे बढ़ती है।