किसानों को रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेड्स हटाने का काम जारी, हिरासत में लिए गए किसान नेताओं की लोकेशन बदली
पटियाला। पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 13 महीने से लगी बैरिकेडिंग को हटाने का काम शुरू हो गया है। गुरुवार सुबह से हरियाणा पुलिस इस बैरिकेडिंग को हटाने में जुटी हुई है। किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए यहां सीमेंट के बड़े-बड़े बैरिकेड्स लगाए गए थे, जिन्हें अब हटाया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि गुरुवार शाम तक दिल्ली-जम्मू-अमृतसर हाईवे को आम यातायात के लिए खोल दिया जाएगा।
यह फैसला पंजाब और हरियाणा में चल रहे किसान आंदोलन और प्रशासन के सख्त रवैये के बाद लिया गया है। पंजाब पुलिस ने बुधवार देर शाम शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटा दिया था। इस दौरान पुलिस ने विरोध कर रहे करीब 200 किसानों को हिरासत में लिया और बुलडोजर की मदद से उनके बनाए अस्थायी शेड भी तोड़ दिए।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल सेना के रेस्ट हाउस में रखे गए
बुधवार दोपहर हिरासत में लिए गए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पहले पंजाब के जालंधर कैंट स्थित आर्मी अस्पताल में ले जाया गया था। लेकिन यहां किसानों के इकट्ठा होने की आशंका के चलते गुरुवार सुबह उन्हें शिफ्ट कर दिया गया। अब उन्हें जालंधर कैंट में ही सेना के रेस्ट हाउस में रखा गया है।
इससे पहले, 19 मार्च को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के साथ सातवें दौर की वार्ता के बाद लौट रहे संयुक्त किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवन सिंह पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। इसके बाद ही बॉर्डर पर किसानों को हटाने की कार्रवाई शुरू हुई।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई के पीछे की रणनीति
हरियाणा और पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई के पीछे मुख्य रूप से दो बड़े कारण बताए जा रहे हैं—
- दिल्ली कूच को रोकने की रणनीति:
किसान संगठनों ने फरवरी में दिल्ली कूच का ऐलान किया था, जिसे रोकने के लिए पुलिस ने बॉर्डर पर भारी बैरिकेडिंग कर दी थी। अब जब किसान संगठनों की दिल्ली जाने की योजना रुक गई है, तो पुलिस ने बैरिकेड्स हटाने का फैसला किया है। - हाईवे को यातायात के लिए खोलना:
दिल्ली-जम्मू-अमृतसर हाईवे पिछले 13 महीनों से बाधित था, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही थी। अब पुलिस का कहना है कि यह रास्ता पूरी तरह से यातायात के लिए खोल दिया जाएगा, जिससे आम नागरिकों को राहत मिलेगी।
आंदोलन पर प्रशासन की सख्ती जारी
पिछले कुछ दिनों में किसान आंदोलन पर प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया है। पंजाब पुलिस ने बुधवार शाम बुलडोजर की मदद से किसानों के अस्थायी टेंट और शेड हटा दिए थे। पुलिस ने कहा कि अब बॉर्डर पर किसी भी प्रकार के अवैध ढांचे को नहीं रहने दिया जाएगा।
पुलिस प्रशासन ने यह भी साफ कर दिया है कि जिन किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया है, उन्हें जल्द ही आगे की कार्रवाई के तहत रिहा किया जाएगा या अन्य कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
क्या आंदोलन अब खत्म हो जाएगा?
किसान संगठनों की ओर से अभी तक आंदोलन को खत्म करने का कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। हालांकि, लगातार पुलिस कार्रवाई और प्रशासन की सख्ती के कारण आंदोलन कमजोर पड़ता दिख रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और अन्य संगठनों के नेता जल्द ही इस मुद्दे पर बैठक कर सकते हैं, जिसमें आगे की रणनीति तय होगी। वहीं, सरकार का कहना है कि किसानों की सभी मांगों पर बातचीत के लिए दरवाजे खुले हैं, लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखना भी जरूरी है।