देश ने 26 नवंबर 2024 को संविधान दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय संविधान के संस्कृत और मैथिली अनुवाद को जारी किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुरानी संसद भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में इन संस्करणों का विमोचन किया। इस अवसर पर विभिन्न दलों के प्रमुख नेता, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी शामिल थे, एक ही मंच पर नजर आए।
राष्ट्रपति का संदेश
राष्ट्रपति ने संविधान सभा के योगदान को याद करते हुए कहा,
“संविधान हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव है। यह न केवल हमें अधिकार देता है, बल्कि हमें अपने कर्तव्यों का भी बोध कराता है। आज कृतज्ञ राष्ट्र संविधान सभा के सदस्यों को सम्मानपूर्वक याद करता है, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता और परिश्रम से एक ऐसा दस्तावेज तैयार किया, जिसने देश की दशा और दिशा तय की।”
उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत और मैथिली में संविधान का अनुवाद हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का प्रयास है।
संस्कृत और मैथिली अनुवाद का महत्व
भारतीय संविधान पहले से हिंदी और अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं में उपलब्ध था, लेकिन संस्कृत और मैथिली में इसका अनुवाद ऐतिहासिक माना जा रहा है।
- संस्कृत: यह प्राचीन भारत की सांस्कृतिक और शास्त्रीय परंपराओं को संरक्षित करने का प्रतीक है। संविधान का संस्कृत संस्करण आने वाली पीढ़ियों को भारत की गौरवशाली भाषा से जोड़ने में मदद करेगा।
- मैथिली: यह भारत की आठवीं अनुसूची में शामिल एक महत्वपूर्ण भाषा है। मैथिली में अनुवाद से बिहार और झारखंड जैसे क्षेत्रों के लोगों को संविधान को बेहतर ढंग से समझने और अपनाने का अवसर मिलेगा।
एकता का प्रदर्शन
इस आयोजन की खास बात यह रही कि देश के अलग-अलग विचारधाराओं के नेता, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी शामिल थे, एक मंच पर नजर आए। यह लोकतंत्र की खूबसूरती और एकता का प्रतीक माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा,
“संविधान हमारी विविधता में एकता का प्रतीक है। संस्कृत और मैथिली जैसे अनुवाद यह दिखाते हैं कि हम अपनी जड़ों को सहेजते हुए भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। यह पहल हमारी समृद्ध भाषाई विरासत को और मजबूत करेगी।”
संविधान दिवस का महत्व
संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1949 में भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था। यह दिवस हमें अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की याद दिलाता है।
भविष्य के लिए एक संदेश
संविधान के संस्कृत और मैथिली संस्करणों का विमोचन एक ऐसा कदम है, जो यह दर्शाता है कि भारत अपने सांस्कृतिक और भाषाई मूल्यों को महत्व देता है। यह प्रयास संविधान को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने और सभी नागरिकों को इसके प्रति जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
संविधान दिवस पर की गई यह ऐतिहासिक शुरुआत न केवल देश की लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करेगी, बल्कि हमारी भाषाई विविधता को भी सम्मान प्रदान करेगी।