संसद में अडाणी-संभल हिंसा पर विपक्ष का प्रदर्शन: सपा और टीएमसी ने बनाई दूरी, अखिलेश बोले- यूपी में चुनाव के चलते हुई हिंसा
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अडाणी समूह से जुड़े विवाद और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हालिया हिंसा को लेकर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। हालांकि, इस प्रदर्शन से समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने दूरी बना ली।
अडाणी विवाद और संभल हिंसा का मुद्दा
विपक्षी दलों ने संसद में अडाणी समूह पर गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा। साथ ही, उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर भी चर्चा की मांग उठाई। विपक्ष का कहना था कि सरकार इन संवेदनशील मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए है।
सपा और टीएमसी की भूमिका
जहां कांग्रेस, आरजेडी और वाम दलों ने इन मुद्दों पर तीखा रुख अपनाया, वहीं समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस इस प्रदर्शन से दूरी बनाते नजर आए। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “संभल में हिंसा के पीछे सरकार की मंशा साफ है। उत्तर प्रदेश में स्थानीय चुनाव हो रहे थे, इसलिए माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई।”
टीएमसी ने भी इस मुद्दे पर सीधा बयान देने से बचते हुए कहा कि उनकी पार्टी सिर्फ जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है।
अखिलेश यादव का आरोप
अखिलेश यादव ने हिंसा को राज्य सरकार की नाकामी बताया और कहा कि, “सरकार सांप्रदायिक तनाव फैलाकर वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है। यह भाजपा का पुराना हथकंडा है, जो वह हर चुनाव में इस्तेमाल करती है।” उन्होंने मांग की कि हिंसा की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
सरकार का पक्ष
दूसरी ओर, सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संभल हिंसा एक स्थानीय मामला है, जिसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “हमने स्थानीय प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं और स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। विपक्ष इसे बेवजह तूल देकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है।”
विपक्ष का प्रदर्शन जारी
भले ही सपा और टीएमसी ने प्रदर्शन से दूरी बनाई हो, लेकिन विपक्षी दलों का अडाणी विवाद और संभल हिंसा को लेकर सरकार पर दबाव बनाना जारी है। विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वे इन मुद्दों पर चर्चा के बिना संसद चलने नहीं देंगे।
क्या है संभल हिंसा का मामला?
संभल में बीते दिनों दो समुदायों के बीच विवाद के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, इस हिंसा में कई लोग घायल हुए और संपत्ति का भी नुकसान हुआ। हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि हालात अब सामान्य हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में गर्माहट ला दी है। विपक्ष जहां सरकार पर जिम्मेदारी तय करने का दबाव बना रहा है, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे विपक्ष की राजनीति का हिस्सा बता रहा है।