रेपो रेट में दो माह में दूसरी बार कटौती: आरबीआई ने दर घटाकर 6% की, कर्ज होंगे सस्तेवित्त वर्ष 2025-26 में GDP ग्रोथ अनुमान भी घटाया, गवर्नर संजय मल्होत्रा ने दी जानकारी
नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की मौद्रिक नीति को लेकर एक अहम फैसला लेते हुए रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। अब रेपो रेट 6.25% से घटाकर 6% कर दिया गया है। यह लगातार दूसरी बार है जब दो महीनों में रेपो रेट में कटौती की गई है। इससे पहले फरवरी में भी RBI ने इतनी ही कटौती की थी। इसका सीधा फायदा आम लोगों को होगा, क्योंकि इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसे कर्ज़ सस्ते हो सकते हैं और उनकी मासिक किस्तें कम हो सकती हैं।
रेपो रेट में कटौती क्यों?
रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक से अल्पकालिक ऋण लेते हैं। जब RBI इस दर को घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज़ मिलता है, जिससे वे भी ग्राहकों को कम ब्याज दर पर ऋण देने को प्रेरित होते हैं। इसका मकसद बाज़ार में लिक्विडिटी बढ़ाना और निवेश व खपत को प्रोत्साहित करना होता है।
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद बताया कि समिति ने सर्वसम्मति से 0.25% की कटौती पर सहमति जताई है। इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। मल्होत्रा ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है। महंगाई नियंत्रण में है और ग्रोथ को सपोर्ट देने के लिए मौद्रिक नीति में यह कदम उठाया गया है।”
GDP ग्रोथ का अनुमान भी घटाया
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है। यह कटौती वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता, अमेरिका की टैरिफ नीतियों और अन्य भू-राजनीतिक तनावों को ध्यान में रखकर की गई है। इससे यह संकेत मिलता है कि आर्थिक मोर्चे पर वैश्विक चुनौतियाँ भारत पर भी असर डाल सकती हैं।
MPC क्या है और इसका क्या काम होता है?
RBI की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) एक छह सदस्यीय समिति है। इसमें 3 सदस्य आरबीआई से और 3 सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नामित होते हैं। इस समिति का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखते हुए आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देना होता है। यह समिति हर दो महीने में बैठक करती है और नीतिगत दरों में बदलाव पर फैसला लेती है।
गवर्नर मल्होत्रा का दिलचस्प जवाब
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब गवर्नर मल्होत्रा से पूछा गया कि क्या भविष्य में भी रेपो रेट में कटौती की संभावना है, तो उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में जवाब दिया—“मैं संजय हूं, लेकिन महाभारत का संजय नहीं…!” उन्होंने कहा कि वे भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि ब्याज दरें कब और कितनी घटेंगी। यह वैश्विक परिस्थितियों, महंगाई दर और देश की आर्थिक ज़रूरतों पर निर्भर करेगा।
फरवरी में भी हुई थी कटौती
गौरतलब है कि फरवरी 2025 में आरबीआई ने करीब ढाई साल बाद पहली बार रेपो रेट में कटौती की थी। तब इसे 6.5% से घटाकर 6.25% किया गया था। मौजूदा कटौती उस प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है, जो आर्थिक गतिविधियों को गति देने के उद्देश्य से की जा रही है।
आरबीआई का यह निर्णय निश्चित रूप से आम उपभोक्ताओं और कॉरपोरेट सेक्टर के लिए राहत की खबर है। इससे कर्ज़ सस्ते होंगे, बाजार में खर्च बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को नई गति मिल सकती है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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