रामलला के लिए शीतकालीन व्यवस्थाएं: विशेष पोशाक, भोजन और दिनचर्या का विवरण
जैसे-जैसे सर्दियां करीब आ रही हैं, अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भगवान रामलला की देखभाल के लिए विशेष तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस साल 20 नवंबर से, रामलला को पहली बार ऊनी वस्त्र, पश्मीना शाल, और विशेष गर्म कपड़ों में सजाया जाएगा। यह परंपरा सर्दियों के मौसम को ध्यान में रखते हुए और अगहन पंचमी के शुभ अवसर पर शुरू की जा रही है।
शीतकालीन पोशाक और व्यवस्था
रामलला के लिए दिल्ली के डिजाइनरों द्वारा विशेष रूप से तैयार किए गए कपड़े अयोध्या भेजे जाएंगे। इनमें ऊनी वस्त्र, रजाइयां और पश्मीना शाल शामिल हैं, जो न केवल भगवान को गर्म रखने के लिए बल्कि उनके प्रति भक्ति और सम्मान का प्रतीक हैं। मंदिर में गर्भगृह को गर्म रखने के लिए हीटर और एयर ब्लोअर की भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, ठंडे दिनों में भगवान को गुनगुने पानी से स्नान कराया जाएगा।
भोजन और विशेष प्रसाद
अगहन पंचमी से भगवान रामलला के लिए प्रसाद में बदलाव किया जाएगा। ठंड के कारण दही का उपयोग बंद कर, उसकी जगह रबड़ी, खीर और सूखे मेवे अर्पित किए जाएंगे। यह मौसम के अनुसार भगवान के लिए तैयार किया गया विशेष प्रसाद है, जो भक्तों की श्रद्धा को दर्शाता है।
दैनिक दिनचर्या में परिवर्तन
सर्दियों के दौरान रामलला की पूजा की समय-सारणी में भी बदलाव किया गया है। सुबह और रात की आरती के समय को मौसम के हिसाब से समायोजित किया जाएगा। साथ ही भगवान को रात में गर्म कपड़े और रजाई ओढ़ाई जाएगी, ताकि वह ठंड से सुरक्षित रहें।
यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का हिस्सा है, बल्कि भगवान रामलला के प्रति भक्तों की गहरी भावना और प्रेम को भी दर्शाती है। इन व्यवस्थाओं का उद्देश्य भगवान को हर रूप में मानवीय स्नेह और देखभाल का अनुभव कराना है।
यह नई पहल श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को और गहराई देती है, जहां भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति को नए तरीके से व्यक्त कर सकते हैं।