रांची। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को झारखंड उच्च न्यायालय से अपनी याचिका वापस ले ली। यह याचिका चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए विशेष अदालत के उस फैसले के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें उन्हें सशरीर उपस्थिति से छूट देने से इनकार कर दिया गया था। झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत में इस याचिका पर सुनवाई हुई, जहां राहुल गांधी की ओर से इसे वापस लेने का आग्रह किया गया। अदालत ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दी।
इसके साथ ही अदालत ने राहुल गांधी को मिली अंतरिम राहत समाप्त कर दी और चाईबासा की निचली अदालत में उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही को फिर से शुरू करने का आदेश दिया। अब इस मामले में चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए विशेष अदालत में फिर से सुनवाई होगी।
क्या है पूरा मामला?
यह मानहानि का मामला वर्ष 2018 से जुड़ा हुआ है। उस दौरान कांग्रेस के एक अधिवेशन में राहुल गांधी ने भाजपा पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि “भाजपा में कोई भी हत्यारा अध्यक्ष बन सकता है, लेकिन कांग्रेस में ऐसा नहीं होता।” इस बयान को लेकर भाजपा नेता प्रताप कटियार ने आपत्ति जताई और चाईबासा की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) अदालत में एक शिकायतवाद (complaint case) दायर किया।
बाद में यह मामला चाईबासा की एमपी-एमएलए विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया। इस बयान को भाजपा ने अपमानजनक और मानहानिकारक बताया और राहुल गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।
राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट की कार्यवाही
इस मामले में अप्रैल 2022 में चाईबासा एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। हालांकि, राहुल गांधी की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई थी। इसके बाद 27 फरवरी 2024 को कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया।
इसके जवाब में राहुल गांधी के वकीलों ने अदालत में एक आवेदन दायर कर सशरीर उपस्थित होने से छूट की मांग की थी। हालांकि, चाईबासा अदालत ने यह मांग खारिज कर दी और राहुल गांधी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
इसके खिलाफ राहुल गांधी ने झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, लेकिन अब उन्होंने खुद ही इसे वापस ले लिया।
हाईकोर्ट में राहुल गांधी की पैरवी
राहुल गांधी की ओर से झारखंड उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता दीपांकर राय और श्रेय मिश्रा ने उनकी पैरवी की। हालांकि, जब अदालत ने इस पर सुनवाई शुरू की, तो राहुल गांधी की ओर से याचिका वापस लेने का अनुरोध किया गया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
अब आगे क्या होगा?
- चाईबासा एमपी-एमएलए विशेष अदालत में अब फिर से इस मामले की सुनवाई शुरू होगी।
- राहुल गांधी को कोर्ट के समक्ष सशरीर उपस्थित होना पड़ सकता है क्योंकि निचली अदालत ने उनकी उपस्थिति से छूट देने से इनकार कर दिया था।
- अब यह देखना होगा कि क्या राहुल गांधी इस आदेश के खिलाफ किसी और अदालत में अपील करेंगे या फिर निचली अदालत में पेश होकर कानूनी प्रक्रिया का सामना करेंगे।
राजनीतिक मायने
इस मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो सकते हैं। भाजपा के नेता इसे राहुल गांधी की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी का परिणाम बता सकते हैं, वहीं कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दे सकती है।
अब सभी की निगाहें चाईबासा की एमपी-एमएलए विशेष अदालत की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां राहुल गांधी को लेकर महत्वपूर्ण फैसला आ सकता है।
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