18वीं लोकसभा के छठे सत्र में कुल 15 बैठकें हुईं, 8 बिल पास हुए ...

नई दिल्ली। लोकसभा की कार्यवाही शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई। यह सत्र 1 दिसंबर से चल रहा था और आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुबह 11 बजे इसे स्थगित किया। कार्यवाही शुरू होने से पहले अध्यक्ष ने बताया कि 18वीं लोकसभा के छठे सत्र में अब तक 15 बैठकें हो चुकी हैं और इस सत्र की उत्पादकता 111 प्रतिशत रही। इसके बाद सदन में वंदेमातरम के साथ कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस दौरान सदन में मौजूद रहे।

सत्र खत्म होने के बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने चैंबर में राजनीतिक दलों के नेताओं और सदस्यों से मुलाकात की। इस सत्र में कई महत्वपूर्ण कानून पारित हुए हैं। इसमें नाभिकीय ऊर्जा और मनरेगा से जुड़े बिल शामिल हैं। इसके अलावा सदन में वंदेमातरम के 150 साल पूरे होने और चुनाव सुधारों पर भी चर्चा हुई।

छठे सत्र में कुल 15 बैठकें हुईं और सदस्यों ने 92 घंटे 25 मिनट तक काम किया। इस दौरान 10 सरकारी बिल पेश किए गए और 8 बिल पास हुए। इन बिलों में मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (द्वितीय संशोधन) बिल, केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) बिल, राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर बिल, विनियोग (संख्या 4) बिल, निरसन एवं संशोधन बिल, सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) बिल, भारत में परमाणु ऊर्जा के सतत उपयोग और विकास से संबंधित बिल, और विकसित भारत - रोजगार की गारंटी एवं आजीविका मिशन बिल शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने वंदेमातरम के 150 साल पूरे होने के मौके पर सदन में चर्चा शुरू की। इस पर 11 घंटे 32 मिनट तक बहस हुई, जिसमें 65 सदस्यों ने भाग लिया। इसके अलावा चुनाव सुधारों पर 9 और 10 दिसंबर को लगभग 13 घंटे चर्चा हुई, जिसमें 63 सदस्यों ने हिस्सा लिया।

सत्र के दौरान कुल 300 तारांकित सवाल स्वीकार किए गए और 72 सवालों के जवाब मौखिक रूप में दिए गए। कुल 3,449 अतारांकित सवाल भी स्वीकार किए गए। शून्यकाल के दौरान सदस्यों ने 408 अत्यावश्यक मुद्दे उठाए और नियम 377 के तहत 372 मामलों पर विचार हुआ। खासकर 11 दिसंबर को शून्यकाल में 150 सदस्यों ने अपने मुद्दे उठाए।

सत्र के दौरान सांसदों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार और सुरक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इससे यह सत्र देश के लिए काफी उत्पादक माना गया।

 18वीं लोकसभा का यह सत्र कई अहम कानून पारित करने, महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस करने और संसद की कार्य प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए यादगार रहा। प्रधानमंत्री और अध्यक्ष की सक्रिय भागीदारी ने सदन की कार्यवाही को और भी प्रभावशाली बनाया।

इस सत्र के खत्म होने के बाद अब संसद का ध्यान अगले सत्र की तैयारियों और नए कानूनों पर होगा। सांसदों ने भी कहा कि उन्होंने इस सत्र में जनता के मुद्दों को उठाने और समाधान के लिए पूरी मेहनत की है।

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