नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया में अपनी कूटनीतिक ताकत का लोहा मनवाया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जब पूरी दुनिया आशंकित थी कि रूस किसी भी समय परमाणु हमला कर सकता है, तब प्रधानमंत्री मोदी की पहल से यह खतरा टल गया। इस बात की पुष्टि पोलैंड के एक वरिष्ठ मंत्री ने की है। पोलैंड के उप विदेश मंत्री व्लाडिसलाव टेओफिल बार्टोस्ज़ेव्स्क ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप की वजह से ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं किया।
पोलैंड के मंत्री का बड़ा खुलासा
सीएनएन-न्यूज18 को दिए गए एक विशेष इंटरव्यू में पोलैंड के उप विदेश मंत्री टेओफिल बार्टोस्ज़ेव्स्क ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी की वारसॉ यात्रा बेहद सफल रही। उन्होंने पुतिन को परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न करने के लिए राजी किया। हम स्थायी शांति चाहते हैं और यूक्रेन में स्थिरता बहाल करना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है।”
उन्होंने बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के दौरान हालात इतने खराब हो चुके थे कि परमाणु युद्ध की संभावना बढ़ गई थी। कई पश्चिमी देशों को आशंका थी कि रूस सीमित पैमाने पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है, जिससे लाखों निर्दोष लोगों की जान जा सकती थी। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक सूझबूझ और शांतिदूत की भूमिका ने इस संभावित त्रासदी को रोक दिया।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान मोदी की सक्रियता
पोलैंड के मंत्री ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री मोदी 21-22 अगस्त 2024 को पोलैंड के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने यूक्रेन और पोलैंड के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की थी। इससे पहले जुलाई 2024 में मोदी रूस भी गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से लंबी बातचीत की थी।
इन दोनों दौरों में मोदी ने रूस और यूक्रेन के नेताओं को युद्धविराम और शांति वार्ता की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी पहल से दोनों देशों के बीच युद्ध कम करने और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए कई समझौतों पर बातचीत हुई।
मोदी के प्रयासों से कैसे बची लाखों जिंदगियां?
- शांति वार्ता की पहल: मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से बात कर युद्धविराम की जरूरत पर बल दिया।
- परमाणु हमले को टाला: पुतिन को समझाया कि परमाणु हमले से दुनिया में अस्थिरता पैदा होगी और यह रूस के लिए भी नुकसानदायक होगा।
- मानवीय सहायता: भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों देशों को बड़ी मात्रा में दवाइयां, खाद्य सामग्री और राहत सामग्री भेजी।
- पोलैंड की भूमिका: पोलैंड, जो यूक्रेन का करीबी सहयोगी है, उसने भी मोदी की पहल को सराहा और शांति स्थापना में भारत के प्रयासों का समर्थन किया।
भारत की तटस्थ नीति ने निभाई अहम भूमिका
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने तटस्थ नीति अपनाई और किसी भी एक पक्ष का समर्थन करने के बजाय शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम किया। यही कारण है कि भारत रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संवाद करने में सफल रहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने बार-बार कहा है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। उनकी “आज का युग युद्ध का नहीं है” वाली नीति को वैश्विक नेताओं ने भी सराहा था।
पोलैंड और अमेरिका भी कर रहे भारत की तारीफ
यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत की भूमिका को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देश भी भारत की रणनीति की सराहना कर रहे हैं। पोलैंड के मंत्री ने स्पष्ट किया कि अगर प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन को नहीं समझाया होता, तो दुनिया को एक बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता था।
प्रधानमंत्री मोदी- एक वैश्विक नेता
प्रधानमंत्री मोदी अब सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के एक शक्तिशाली और प्रभावी नेता के रूप में उभरकर सामने आए हैं। उन्होंने यह साबित किया कि उनकी राजनयिक क्षमता और दूरदर्शी सोच दुनिया को बड़े संकटों से बचाने में सक्षम है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान पूरी दुनिया को परमाणु हमले का डर सता रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के कूटनीतिक प्रयासों ने यह खतरा टाल दिया। पोलैंड के मंत्री का यह खुलासा वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत और मोदी की कूटनीतिक सफलता का प्रमाण है। भारत ने न सिर्फ रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की पहल की, बल्कि परमाणु युद्ध की आशंका को भी खत्म किया।
अब पूरी दुनिया भारत को एक जिम्मेदार और प्रभावी वैश्विक नेता के रूप में देख रही है। प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल इतिहास में एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में दर्ज की जाएगी।
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