मुंबई। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित प्रभाकर कारेकर का बुधवार रात 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से शास्त्रीय संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
संगीत जगत का चमकता सितारा बुझा
गोवा में जन्मे पंडित प्रभाकर कारेकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के जाने-माने गायक थे। वे अपनी अनूठी गायकी, भावपूर्ण अभिव्यक्ति और विशिष्ट शैली के लिए पहचाने जाते थे। विशेष रूप से, उनके गाए भजन “बोलावा विठ्ठल पाहावा विठ्ठल” और “वक्रतुण्ड महाकाय” भक्तों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हैं। उनके भजनों में भक्ति, भाव और राग का बेहतरीन संगम देखने को मिलता था।
संगीत के प्रति अद्वितीय समर्पण
पंडित कारेकर ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नई ऊंचाई दी। उन्होंने न केवल खुद को एक बेहतरीन गायक के रूप में स्थापित किया, बल्कि अपने शिष्यों को भी संगीत की गहराइयों से परिचित कराया। उनका योगदान हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अविस्मरणीय रहेगा। उनकी गायकी में ग्वालियर, किराना और आगरा घराने की छाप देखने को मिलती थी।
संगीत प्रेमियों में शोक की लहर
उनके निधन की खबर से संगीत प्रेमियों, शिष्यों और प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई। संगीत जगत के कई दिग्गजों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और कई संगीतज्ञों ने उनके योगदान को अविस्मरणीय बताते हुए संवेदना व्यक्त की।
अंतिम संस्कार की तैयारियां
परिवार के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को मुंबई में किया जाएगा। उनके निधन से भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है, जिसे भर पाना कठिन होगा।