प्रधानमंत्री ने कहा– वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन को ऊर्जा दी, आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह प्रेरणा का स्रोत बनेगा
लोकसभा में सोमवार का दिन भारतीय लोकतंत्र और सांस्कृतिक इतिहास के लिए विशेष महत्व लेकर आया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विशेष चर्चा की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस चर्चा में न कोई पक्ष है, न विपक्ष—क्योंकि वंदे मातरम् का स्मरण राष्ट्रीय आत्मा को स्पर्श करने वाला विषय है।
उन्होंने अपने वक्तव्य की शुरुआत भावपूर्ण शब्दों में करते हुए कहा कि वंदे मातरम् के इस अमर मंत्र ने देश के स्वतंत्रता संग्राम को ऊर्जा दी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया और करोड़ों भारतीयों के हृदय में स्वतंत्रता के प्रति अग्निशिखा प्रज्वलित की। प्रधानमंत्री ने कहा—“हम सबका सौभाग्य है कि हम वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी हैं। यह केवल एक गीत का सम्मान नहीं, बल्कि राष्ट्रचेतना के उस उद्गम का स्मरण है जिसने भारत को पुनर्जागरण की ओर अग्रसर किया।”
Speaking in the Lok Sabha. https://t.co/qYnac5iCTB
— Narendra Modi (@narendramodi) December 8, 2025
लोकसभा में सर्वदलीय सहभागिता
इस महत्वपूर्ण चर्चा में सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई वरिष्ठ मंत्री शामिल हुए, जबकि विपक्ष की ओर से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, लोकसभा में उपनेता प्रतिपक्ष गौरव गोगोई सहित 8 सांसदों ने अपनी बातें रखीं। अन्य दलों के सांसद भी इस ऐतिहासिक विमर्श का हिस्सा बने।
दरअसल, वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर संसद में विशेष चर्चा का निर्णय 2 दिसंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में लिया गया था। इसी बैठक में यह तय हुआ कि 8 दिसंबर को लोकसभा में और 9 दिसंबर को राज्यसभा में यह विषय चर्चा का केंद्र बनेगा।
वंदे मातरम्: रचना से राष्ट्रीय नारा बनने तक की यात्रा
प्रधानमंत्री ने वंदे मातरम् के इतिहास को विस्तार से याद करते हुए बताया कि बंकिम चंद्र चटर्जी ने इसे 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के पावन अवसर पर लिखा था। यह पहली बार 1882 में बंगदर्शन पत्रिका में उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ के हिस्से के रूप में प्रकाशित हुआ।
1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इसे पहली बार सार्वजनिक मंच पर गाया गया। उस क्षण हजारों लोगों की आंखें नम हो गई थीं—क्योंकि वह केवल गीत नहीं, राष्ट्रजागरण की ध्वनि बन चुका था।
संसद में चर्चा की 5 प्रमुख वजहें
सरकार ने वंदे मातरम् पर चर्चा का निर्णय केवल ऐतिहासिक सम्मान के लिए ही नहीं, बल्कि कई महत्वपूर्ण कारणों से लिया है—
राष्ट्रीय भावना और एकता का संदेश
वंदे मातरम् के माध्यम से सरकार देश में एकता, सांस्कृतिक गौरव और राष्ट्रभावना को और सुदृढ़ करना चाहती है।बंगाल चुनाव से जुड़ा सांस्कृतिक महत्व
इस गीत का मूल और इतिहास बंगाल से जुड़ा है। इसलिए इसका स्मरण आने वाले बंगाल चुनाव के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।1937 के ऐतिहासिक विवाद पर पुनर्विचार
आजादी से पहले इसके दूसरे हिस्से को धार्मिक आपत्तियों के चलते हटाया गया था। सरकार चाहती है कि इस प्रसंग को तथ्यात्मक रूप से सामने रखा जाए।स्वतंत्रता आंदोलन और बंगाल विभाजन की स्मृति
वंदे मातरम् बंगाल विभाजन के खिलाफ हुए आंदोलनों का केंद्र रहा। इसे याद करते हुए देशभक्ति का भाव और गहरा होता है।संसद के माहौल को सकारात्मक बनाना
चल रहे राजनीतिक तनाव के बीच सरकार चाहती है कि यह चर्चा सदन को सकारात्मक वातावरण में ले जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा—वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, आत्मजागरण है
अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश शासनकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय अंग्रेज भारत को कमजोर, निकम्मा और आलसी बताकर भारतीयों का मनोबल तोड़ना चाहते थे। उसी दौर में बंकिम चंद्र ने वंदे मातरम् के माध्यम से भारतीयों को उनके सामर्थ्य का स्मरण कराया।
प्रधानमंत्री ने इसके प्रसिद्ध अंश का उल्लेख करते हुए कहा—
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी
नमामि त्वाम्
सुजलां सुफलां मातरम्… वंदे मातरम्…
उन्होंने वेदों के सूत्र “माता भूमि पुत्रोऽहं पृथिव्याः” और भगवान राम के कथन “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” का भी संदर्भ दिया, जिससे वंदे मातरम् की सांस्कृतिक जड़ें और गहरी दिखती हैं।
देशभक्ति के महान अध्यायों का स्मरण
प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल, भगवान बिरसा मुंडा और गुरु तेगबहादुर जैसे महापुरुषों के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह समय राष्ट्रीय पुनर्जागरण की विविध घटनाओं को याद करने का है। उन्होंने कहा कि जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष पूरे हुए थे, देश गुलाम था; 100 वर्ष पूरे हुए तो देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा था। परंतु आज 150 वर्ष पूरे होने पर भारत स्वतंत्र, मजबूत और एकजुट है।
लोकसभा से देश को संदेश
प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि वंदे मातरम् पर इस ऐतिहासिक चर्चा से देश को एकजुट होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी और आने वाली पीढ़ियां भी इसे राष्ट्रीय चेतना का दीपक बनाकर देखेंगी।
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