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February 9, 2025 6:39 AM

मुंबई हमलों के गुनहगार तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण को दी मंजूरी

"26/11 Mumbai attacks convict Tahawwur Rana's extradition to India approved by the US Supreme Court.

वाशिंगटन: 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के दोषी तहव्वुर राणा को अब भारत लाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। 63 वर्षीय राणा वर्तमान में लॉस एंजिलस की जेल में बंद है। वह 2008 में मुंबई में हुए भयानक आतंकी हमले का दोषी है, जिसमें 166 लोगों की जान गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राणा की याचिका

अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने तहव्वुर राणा द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। 13 नवंबर, 2024 को राणा ने यह याचिका दाखिल की थी। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि यह याचिका स्वीकार करने योग्य नहीं है। 21 जनवरी, 2025 को दिए गए आदेश (21/01/2025) में सर्वोच्च न्यायालय ने उसके भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी।

हेडली का करीबी सहयोगी रहा है राणा

राणा, जो पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है, 26/11 के हमलों के मास्टरमाइंड डेविड कोलमन हेडली का करीबी सहयोगी है। हेडली ने मुंबई हमलों की साजिश रचने और उसे अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी। राणा ने हेडली की हर संभव मदद की थी, जिससे हमले की योजना को अंजाम दिया जा सका।

एफबीआई ने शिकागो से किया था गिरफ्तार

2009 में फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने शिकागो में राणा को गिरफ्तार किया था। वह लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य माना जाता है और इस आतंकी संगठन के लिए विभिन्न योजनाओं में शामिल रहा है। राणा को लंबे समय से भारत प्रत्यर्पित किए जाने की कोशिशें चल रही थीं।

कानूनी लड़ाई में राणा की हार

भारत ने राणा के प्रत्यर्पण की मांग कई सालों से कर रखी थी। राणा ने इसे रोकने के लिए अमेरिका की कई अदालतों में याचिकाएं दायर कीं, लेकिन हर बार उसे असफलता ही हाथ लगी। इससे पहले, वह सैन फ्रांसिस्को स्थित उत्तरी सर्किट कोर्ट और अन्य संघीय अदालतों में भी अपनी अपील हार चुका था।

26/11 मुंबई हमलों की भयावहता

2008 में हुए मुंबई हमलों में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने भारत की आर्थिक राजधानी पर हमला किया था। इन हमलों में 166 निर्दोष लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। ताज होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस और सीएसटी रेलवे स्टेशन जैसे स्थान आतंकियों के निशाने पर थे।

भारत के लिए बड़ी जीत

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता है। राणा का प्रत्यर्पण इस बात का सबूत है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को गंभीरता से लिया जा रहा है। अब राणा को भारत लाने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी, जहां उसे भारतीय न्याय प्रणाली के तहत सजा सुनाई जाएगी।

यह फैसला आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक बड़ा कदम है। भारत राणा को न्याय के कठघरे में लाकर मुंबई हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने की ओर एक और कदम बढ़ाएगा।

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