- जांच एजेंसियों का मानना है कि राणा अब तक पूरी तरह सहयोग नहीं कर रहा
नई दिल्ली/मुंबई। 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा से पूछताछ के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच की एक टीम बुधवार को दिल्ली पहुंची। सूत्रों के मुताबिक, एनआईए मुख्यालय में हुई आठ घंटे लंबी पूछताछ के दौरान राणा ने जांच अधिकारियों को गोलमोल जवाब दिए और किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी को साझा करने से परहेज किया। जांच एजेंसियों का मानना है कि राणा अब तक पूरी तरह सहयोग नहीं कर रहा है। राणा को हाल ही में अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में उसकी भूमिका वर्षों से संदेह के घेरे में रही है, खासकर डेविड कोलमैन हेडली के साथ उसके संबंधों को लेकर।
कंसल्टेंसी की आड़ में आतंक की साजिश
जांच में सामने आया है कि तहव्वुर राणा ने अपनी कंसल्टेंसी फर्म का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों की योजना में किया। इसी फर्म की आड़ में राणा ने डेविड हेडली को मुंबई भेजा, जिसने ताज महल होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, और अन्य अहम स्थलों की रेकी की। जांच एजेंसियों का मानना है कि राणा की भूमिका केवल सहयोगी की नहीं, बल्कि योजनाकार की थी।
17 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद भारत लाया गया
तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए भारत ने अमेरिका में लंबी कानूनी प्रक्रिया लड़ी। कई याचिकाओं, अपीलों और न्यायिक अड़चनों को पार करते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के बाद अंततः राणा को भारत लाया जा सका। इस पूरी प्रक्रिया में भारतीय एजेंसियों के साथ एफबीआई, यूएस मार्शल, और अमेरिका के न्यायिक व विदेश विभाग की बड़ी भूमिका रही।
26/11 हमला: आज भी ज़ख्म ताज़ा
2008 में हुए मुंबई हमलों ने देश को झकझोर कर रख दिया था। लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समंदर के रास्ते मुंबई में प्रवेश कर coordinated हमले किए थे। इसमें 166 लोग मारे गए थे, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। अब जबकि राणा भारत की हिरासत में है, सुरक्षा एजेंसियां इस आतंकी हमले की सच्चाई की परतें और खोलना चाहती हैं।