नई दिल्ली। सामान्यतः यह माना जाता है कि सूखा मौसम और जल स्रोतों के सूखने से मच्छरों की आबादी में कमी आएगी, लेकिन वैज्ञानिकों के हालिया अध्ययन ने इसके विपरीत निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। मच्छरों की कुछ प्रजातियां ऐसे कठोर मौसम में भी जीवित रहने की अद्भुत क्षमता रखती हैं, और वे सूखे के दौरान अधिक खतरनाक हो जाते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि मच्छरों की जीवित रहने की रणनीतियां बहुत ही प्रभावी और जटिल होती हैं।
सूखा मौसम में मच्छरों की रणनीति
सिनसिनाटी विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि मच्छर सूखे के दौरान भी ज्यादा संख्या में सक्रिय रहते हैं। आमतौर पर जब जल स्रोत सूखने लगते हैं, तो यह माना जाता है कि मच्छरों की संख्या घटेगी, क्योंकि उनका जीवन जल स्रोतों पर निर्भर होता है। हालांकि, सूखे के दौरान मच्छर अपने शिकार को और अधिक आसानी से आकर्षित करने के लिए अपना आहार बदलते हैं। वे अपने शिकार को पहचानने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं।
अध्ययन के अनुसार, मच्छर सूखा होने पर भी अधिक बार काटते हैं, ताकि वे जीवित रह सकें और अपने शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखें। यह एक तरह से उनके जीवित रहने का तरीका बन चुका है। सूखा मौसम मच्छरों को मजबूर करता है कि वे अधिक सक्रिय रूप से शिकार करें, जिससे वे शिकार से मिलने वाली नमी से खुद को हाइड्रेट रख सकें।
ठंडे क्षेत्रों में मच्छरों का नया ठिकाना
अध्ययन से यह भी सामने आया है कि मच्छरों ने अब ठंडे देशों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी है। जलवायु परिवर्तन और गर्म होती सर्दियों के कारण मच्छरों के लिए ठंडे तापमान वाले क्षेत्र भी अब जीवित रहने के अनुकूल हो गए हैं। ये मच्छर ठंडे मौसम में भी जीवित रह सकते हैं, क्योंकि वे सर्दियों से पहले ही पर्याप्त मात्रा में भोजन जमा कर लेते हैं और फिर अपनी चर्बी को शरीर में संचय करते हैं। गर्मी पड़ते ही ये मच्छर फिर से अंडे देना शुरू कर देते हैं और अपनी आबादी को फिर से बढ़ा लेते हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता क्रिस्टोफर होम्स ने कहा कि मच्छरों को सामान्य समझना भूल होगी। वे न केवल कठोर वातावरण में जीवित रह सकते हैं, बल्कि वे अपनी प्रजनन क्षमता में भी वृद्धि कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दियों की गर्मी मच्छरों के जीवन को और बढ़ावा देती है। अब मच्छरों के लिए सर्दी गर्मी में बदलने की प्रक्रिया अधिक अनुकूल हो गई है, जो उन्हें नई जगहों पर फैलने और अपनी आबादी को बढ़ाने में मदद करती है।
निष्कर्ष
यह अध्ययन मच्छरों की अद्भुत जीवित रहने की क्षमता और उनके व्यवहार में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को स्पष्ट करता है। सूखा या ठंडा मौसम, ये सभी मच्छरों की गतिविधियों को प्रभावित करते हैं, लेकिन उनका अस्तित्व इन चुनौतियों के बावजूद बना रहता है। जलवायु परिवर्तन के कारण मच्छरों की आबादी और उनके प्रसार के पैटर्न में बदलाव आ रहे हैं, जिससे न केवल इनकी संख्या में वृद्धि हो रही है, बल्कि इनसे होने वाले संक्रमण के जोखिम भी बढ़ रहे हैं। इस अध्ययन के परिणामों से यह संकेत मिलता है कि मच्छरों के प्रभावी नियंत्रण के लिए अब नई रणनीतियों की आवश्यकता होगी।