‘भारत कुमार’ के नाम से मशहूर देशभक्ति फिल्मों के नायक ने ली अंतिम सांस
मुंबई।
भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, लेखक और निर्देशक मनोज कुमार का शुक्रवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से लिवर सिरोसिस की बीमारी से जूझ रहे थे। मनोज कुमार को उनके देशभक्ति से ओतप्रोत सिनेमा के लिए ‘भारत कुमार‘ नाम से जाना जाता था।
उनके निधन की जानकारी उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने दी। उन्होंने बताया कि “पिताजी पिछले काफी समय से बीमार थे, लेकिन ईश्वर की कृपा से उन्हें अंतिम समय में कोई ज्यादा तकलीफ नहीं हुई। वे शांति से इस दुनिया से विदा हो गए।” उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह 11 बजे मुंबई के पवनहंस श्मशान घाट पर किया जाएगा।
लाल बहादुर शास्त्री के सुझाव से बनी ‘उपकार’
मनोज कुमार की सबसे चर्चित और यादगार फिल्म ‘उपकार’ (1967) थी, जो भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे पर आधारित थी। शास्त्री जी को मनोज कुमार की 1965 की फिल्म ‘शहीद’ इतनी पसंद आई कि उन्होंने खुद उनसे एक फिल्म बनाने का आग्रह किया। मनोज कुमार ने ट्रेन यात्रा के दौरान ‘उपकार’ की कहानी लिखी और फिल्म का निर्देशन भी किया।
इस फिल्म ने उन्हें एक नई पहचान दी। ‘भारत कुमार’ नाम भी उन्हें इसी फिल्म के बाद मिला। ‘उपकार’ ने 1968 में चार फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते — बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टोरी, और बेस्ट डायलॉग।
देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में
मनोज कुमार ने अपने करियर में पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान, क्रांति, जैसी कई देशभक्ति और समाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में बनाईं। उनकी फिल्मों में हमेशा एक आम भारतीय की पीड़ा, संघर्ष और आत्मसम्मान की झलक देखने को मिलती थी।
सम्मान और उपलब्धियां
उनके बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले, जिनमें शामिल हैं:
- 7 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स
- पद्मश्री (1992)
- दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड (2016) – भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया।
मनोज कुमार: एक अभिनेता, एक विचार
उनका नाम सुनते ही दर्शकों को “ऐ मेरे प्यारे वतन”, “मेरे देश की धरती” जैसे अमर गीतों की याद आ जाती है। वे सिर्फ अभिनेता नहीं थे, वे एक विचार, एक आवाज, और एक युग थे। उनका जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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