महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर भारत में श्रद्धांजलि अर्पित करने का सिलसिला जारी है। गांधी जी की शिक्षाएं और उनके संघर्ष आज भी भारतीय समाज और विश्वभर में प्रेरणा का स्रोत हैं। इस विशेष दिन पर, जब देशभर में शहीद दिवस मनाया जा रहा है, आइए हम गांधी जी के जीवन और उनके योगदान को समझें और उनके संघर्षों को सराहें।
1. महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि
भोपाल में महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आज विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। भाजपा और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी गांधी जी को याद करते हुए उनके कार्यों की सराहना की। वे जापान के कोबे शहर में स्थित गांधी जी की प्रतिमा पर जाकर बापू को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे और उन्होंने गांधी जी के बारे में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के शब्दों को उद्धृत किया, जिसमें आइंस्टीन ने कहा था, “भविष्य की पीढ़ियों को यह विश्वास करना कठिन होगा कि ऐसा व्यक्ति हड्डी और मांस से बना था और कभी पृथ्वी पर रहा था।”
भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार परिसर में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने भी बापू की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने-अपने दलों के कार्यकर्ताओं के साथ बापू को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
2. कर्मचारियों ने दो मिनट का मौन रखा
साथ ही, राज्य प्रशासन ने भी गांधी जी के योगदान को याद करते हुए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। मंत्रालय के सामने स्थित पार्क में मुख्य सचिव अनुराग जैन की उपस्थिति में अधिकारियों और कर्मचारियों ने ठीक 11 बजे सायरन बजने के बाद दो मिनट का मौन धारण किया। यह मौन गांधी जी की शहादत के सम्मान में रखा गया था। दो मिनट के मौन के बाद बापू की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और फिर सभी अधिकारी अपने कार्यों में व्यस्त हो गए।
3. महात्मा गांधी का जीवन और उनके संघर्षों की प्रमुख बातें
महात्मा गांधी का जीवन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, बल्कि उनका आदर्श आज भी दुनियाभर में सामाजिक सुधार, स्वतंत्रता, और अहिंसा के प्रतीक के रूप में जीवित है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनका असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की और फिर इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई की।
दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष:
गांधी जी का संघर्ष दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ, जहां उन्होंने भारतीयों के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव का विरोध किया। वहां उन्होंने ‘सत्याग्रह’ की विधि को विकसित किया, जो भविष्य में भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनके संघर्ष का आधार बनी।
भारत में स्वतंत्रता संग्राम:
महात्मा गांधी 1915 में भारत लौटे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनका प्रमुख योगदान था सत्याग्रह, अहिंसा, और असहमति के शांतिपूर्ण तरीकों को बढ़ावा देना।
गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों की शुरुआत हुई, जैसे:
- नमक सत्याग्रह (1930): इस आंदोलन ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष को तेज किया।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942): यह आंदोलन स्वतंत्रता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसमें लाखों भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई।
सामाजिक और सांस्कृतिक सुधार:
गांधी जी का मानना था कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता से भारत की असली आज़ादी नहीं आ सकती थी। वे सामाजिक सुधारों के पक्षधर थे, जैसे दलितों के अधिकारों की रक्षा, महिला सशक्तिकरण, और गांवों में स्वच्छता एवं आत्मनिर्भरता के प्रोत्साहन के लिए ‘नमक सत्याग्रह’ और ‘स्वदेशी आंदोलन’ जैसी योजनाओं का आयोजन किया।
अहिंसा और सत्य का महत्व:
गांधी जी का जीवन पूरी तरह से सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित था। उनका मानना था कि हिंसा से समस्या का समाधान नहीं होता, बल्कि सत्य और शांति से ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है।
4. महात्मा गांधी का वैश्विक प्रभाव
महात्मा गांधी ने न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर में अहिंसा और शांतिपूर्ण संघर्ष के तरीकों को फैलाया। उनके सिद्धांतों को कई देशों में नागरिक अधिकार आंदोलनों और स्वतंत्रता संग्रामों के लिए अपनाया गया। उनके विचारों ने दक्षिण अफ्रीका के नेता नेल्सन मंडेला और अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग जैसे नेताओं को प्रेरित किया।
गांधी जी का योगदान न केवल स्वतंत्रता संग्राम में था, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज की संरचना, राजनीति, और संस्कृति को नया दिशा दी। उनकी शिक्षाएं आज भी एक अमूल्य धरोहर हैं, जो हमें व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सत्य, अहिंसा, और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर हम उनके विचारों और उनके संघर्षों को याद करते हैं और उनकी राह पर चलने का संकल्प लेते हैं। उनका जीवन और उनकी शिक्षा हमेशा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगी।