मध्य प्रदेश के सीहोर स्थित वीआईटी (वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) विश्वविद्यालय में छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार दूसरे दिन भी उग्र रूप लेता गया।
बुधवार सुबह कैंपस में तनाव और बढ़ गया, जब कुछ छात्रों ने विश्वविद्यालय की एक इमारत में आग लगा दी। हालात बिगड़ने पर परिसर में पैरामिलिट्री फोर्स तैनात की गई। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की टीम को बुलाकर छात्रों के ब्लड सैंपल लिए गए।
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भोजन और पानी की गुणवत्ता पर बड़ा आरोप, कई विद्यार्थी बीमार
छात्रों ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय में परोसा जाने वाला भोजन और पीने का पानी लंबे समय से खराब गुणवत्ता का है। उनका कहना है कि इसी वजह से कई विद्यार्थी पीलिया से पीड़ित हो गए हैं। छात्रों के अनुसार करीब 100 साथियों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और कुछ की मौत की भी सूचना है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
स्वास्थ्य विभाग ने पूरे कैंपस में मेडिकल टेस्ट कराते हुए बीमारी की वास्तविक वजह जानने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
विरोध दबाने पर हालात भड़के, सुरक्षा गार्डों पर मारपीट का आरोप
छात्रों का कहना है कि जब उन्होंने खराब भोजन और पानी को लेकर आवाज उठाई, तो विश्वविद्यालय के गार्डों ने उनके साथ मारपीट की। इस घटना का वीडियो भी छात्रों ने साझा किया है। इसके बाद गुस्सा अचानक भड़क उठा।
मंगलवार रात करीब 4 हजार छात्रों ने कैंपस में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया और कई बसों तथा कारों में आग लगा दी। स्थिति काबू में लाने के लिए 5 थानों से पुलिस बल बुलाना पड़ा। देर रात तक परिसर में तनावपूर्ण माहौल बना रहा।
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29 नवंबर तक घोषित अवकाश, छात्र लौटे घर
बिगड़ते हालात को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 30 नवंबर तक के लिए अवकाश घोषित कर दिया। ज्यादातर छात्र बुधवार सुबह अपना सामान लेकर कैंपस छोड़कर निकल गए। प्रबंधन का कहना है कि स्थिति सामान्य होने के बाद ही कक्षाएं दोबारा शुरू की जाएंगी।
प्रोफेसर दास की मौत पर डीन का बयान:कैंपस घटनाओं से कोई संबंध नहीं
सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों के बीच वीआईटी के डीन सुरेश एम ने स्पष्ट किया कि प्रोफेसर संग्राम केसरी दास की मौत विश्वविद्यालय की घटना से जुड़ी नहीं है। उन्होंने बताया कि 43 वर्षीय दास की मृत्यु सीहोर में उनके किराए के मकान पर हुई और यह पूरी तरह अलग मामला है।
मंत्री कृष्णा गौर ने लिया संज्ञान, छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता के निर्देश
जिले की प्रभारी मंत्री कृष्णा गौर ने पूरे घटनाक्रम पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर बालागुरु के, एसपी दीपक कुमार शुक्ला तथा विश्वविद्यालय प्रबंधन से चर्चा की। मंत्री ने आदेश दिए कि
कैंपस में शांति और कानून-व्यवस्था सुनिश्चित की जाए,
सभी छात्रों की मेडिकल जांच पूरी की जाए,
पानी और भोजन व्यवस्था की तत्काल जांच कर सुधार किए जाएं,
तथा छात्रों की सुरक्षा हर स्थिति में सर्वोच्च प्राथमिकता रहे।
उन्होंने प्रबंधन से कुछ दिनों के अवकाश का निर्णय भी उचित बताते हुए कहा कि इससे छात्रों को आराम मिलेगा और वे सामान्य वातावरण में वापस लौट सकेंगे।
अभाविप ने विश्वविद्यालय आयोग और उच्च शिक्षा मंत्री को सौंपा ज्ञापन
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने भी इस गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार तथा निजी विश्वविद्यालय आयोग को ज्ञापन सौंपा।
अभाविप का कहना है कि छात्रों की शिकायतों के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामलों को दबाने की कोशिश की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
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अभाविप की मांगें
वीआईटी भोपाल में भोजन एवं पेयजल व्यवस्था की उच्च स्तरीय जांच हो।
छात्रों की सभी शिकायतों को बिना किसी दबाव के दर्ज कर निष्पक्ष कार्रवाई की जाए।
निजी विश्वविद्यालय आयोग द्वारा पहले की गई जांच में पाई गई गड़बड़ियों की पुनः समीक्षा हो।
यदि लापरवाही साबित हो, तो संबंधित प्रबंधन और अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
अभाविप ने कहा कि विश्वविद्यालय से हजारों छात्रों का भविष्य जुड़ा है, इसलिए सरकार को जल्द निर्णय लेकर कैंपस का वातावरण सामान्य बनाना होगा और छात्रों में विश्वास बहाल करना होगा।
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