भोपाल, 22 फरवरी – टाइगर, चीता और तेंदुआ स्टेट के बाद अब मध्यप्रदेश को ‘गिद्ध स्टेट’ का दर्जा भी मिल गया है। प्रदेश में गिद्धों की संख्या पिछले 10 वर्षों में दोगुनी हो गई है। वन विभाग द्वारा कराई गई हालिया गिनती में यह आंकड़ा 12,981 तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा गिद्ध संरक्षण और उनके संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
तीन दिन की गणना में मिले चौंकाने वाले आंकड़े
वन विभाग ने 17, 18 और 19 फरवरी को पूरे प्रदेश में गिद्धों की गणना की। इस दौरान 16 सर्कल, 64 डिवीजन और 9 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों को गिना गया। गिनती के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि केवल आवास स्थलों पर बैठे गिद्धों को ही शामिल किया जाए, ताकि आंकड़ों में कोई त्रुटि न हो।
वन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 2024 में गिद्धों की संख्या 10,845 थी, जो अब बढ़कर 12,981 हो गई है। इस बढ़ोतरी के साथ मध्यप्रदेश अब भारत में सबसे ज्यादा गिद्धों वाला राज्य बन गया है।
गिद्धों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी, 10 साल में हुई दोगुनी
मध्यप्रदेश में गिद्धों की गणना वर्ष 2016 से की जा रही है। तब से लेकर अब तक राज्य में गिद्धों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।
वर्ष | गिद्धों की संख्या |
---|---|
2016 | लगभग 6,000 |
2019 | 8,397 |
2021 | 9,446 |
2024 | 10,845 |
2025 | 12,981 |
10 वर्षों में गिद्धों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली गिद्धों की 7 प्रजातियां
मध्यप्रदेश में गिद्धों की कुल 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 4 स्थानीय और 3 प्रवासी प्रजातियां हैं। भोपाल स्थित वन विहार नेशनल पार्क में सफेद पीठ वाले गिद्धों की भी मौजूदगी दर्ज की गई है।
कैसे हो रही है गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी?
गिद्धों की संख्या में वृद्धि के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- संरक्षित क्षेत्र और निगरानी: वन विभाग ने गिद्धों के संरक्षण के लिए विशेष निगरानी रखी है।
- जहरीली दवाओं पर रोक: डाइक्लोफेनाक जैसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाने से गिद्धों की मौत में भारी कमी आई है।
- घोंसला संरक्षण अभियान: गिद्धों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित किया गया है, जिससे उनकी प्रजनन दर बढ़ी है।
- जन जागरूकता कार्यक्रम: लोगों को गिद्धों के पारिस्थितिकीय महत्व के बारे में जागरूक किया गया है।
वन विभाग की रणनीति और भविष्य की योजनाएं
गिद्धों की गणना करने के लिए वन विभाग ने शीत ऋतु के अंतिम चरण को चुना, क्योंकि इस दौरान स्थानीय और प्रवासी दोनों प्रकार के गिद्ध आसानी से देखे जा सकते हैं। वन विभाग अब आगे गिद्धों के प्रजनन और सुरक्षा के लिए विशेष योजना बना रहा है।
मध्यप्रदेश को ‘गिद्ध स्टेट’ का दर्जा मिलना वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। गिद्ध न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि वे प्रकृति के सफाईकर्मी भी कहे जाते हैं। वन विभाग और सरकार के सतत प्रयासों से यह संभव हो पाया है कि गिद्धों की संख्या 12 हजार से अधिक हो गई है। आने वाले वर्षों में यह संख्या और अधिक बढ़े, इसके लिए प्रयास जारी रहेंगे।