भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 (GIS 2025) को जबरदस्त सफलता मिली है। इस समिट में 30.77 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिससे 21.40 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने समिट के समापन अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने किया उद्घाटन, प्रदेश को मिली नई ऊर्जा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 का शुभारंभ किया और अपने संबोधन से प्रदेश और देश के उद्योग जगत को नई ऊर्जा और दृष्टिकोण प्रदान किया। समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश की 18 नई निवेश अनुकूल नीतियों को लॉन्च किया।
मुख्यमंत्री ने कहा,
“आज का दिन मध्यप्रदेश के आर्थिक और औद्योगिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। यह सिर्फ एक सम्मेलन नहीं, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की ऐतिहासिक पहल है। इस वर्ष की समिट अनंत संभावनाएं थीम पर आधारित थी और पहली बार यह मल्टी-समिट प्रारूप में आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रीय और औद्योगिक विषयों पर चर्चाएं हुईं।”
मध्यप्रदेश को कहां-कहां से मिले निवेश प्रस्ताव?
मुख्यमंत्री ने बताया कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और इंटरेक्टिव सेशन्स के माध्यम से प्रदेश को बड़ी मात्रा में निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए।
- ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट: ₹30.77 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव
- रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव: ₹2.34 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव (2.74 लाख रोजगार)
- इंटरेक्टिव सेशन: ₹1.82 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव (1.32 लाख रोजगार)
सबसे ज्यादा निवेश किस सेक्टर में आया?
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग को सबसे ज्यादा निवेश प्रस्ताव मिले हैं।
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा: ₹5.72 लाख करोड़ (1.4 लाख रोजगार)
- खनन एवं खनिज संसाधन: ₹3.22 लाख करोड़ (55,000 रोजगार)
इसके अलावा औद्योगिक उत्पादन, कृषि, टेक्सटाइल, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में भी भारी निवेश प्रस्ताव मिले हैं।
GIS 2025 के दौरान हुए 85 एमओयू, निवेशकों में भारी उत्साह
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस समिट के दौरान 85 महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) साइन किए गए, जो आने वाले समय में प्रदेश के औद्योगिक विकास को एक नई दिशा देंगे। निवेशकों ने प्रदेश में अनुकूल माहौल को देखते हुए यहां निवेश करने में गहरी रुचि दिखाई है।

औद्योगिक विकास में पिछली सरकारों की नीतियों पर मुख्यमंत्री का हमला
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2003-04 में मध्यप्रदेश की औद्योगिक विकास दर माइनस में थी। उन्होंने कहा कि अगर पिछली सरकार ने सही दिशा में काम किया होता तो उद्योग-धंधे इस हालत में नहीं होते।
“जब 2003-04 में प्रदेश की औद्योगिक विकास दर माइनस में थी, तो यह किसकी विफलता थी? सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण उद्योग कैसे पनप सकते थे? अंग्रेजों के समय से चल रहे कई उद्योग भी इसी कालखंड में दम तोड़ गए। हमने मजदूरों का पैसा भी चुकाया और उनकी जमीनों के बलबूते नए विकास की नींव रखी।”
इंदौर की सफलता, बाकी शहरों को भी बनेगा ‘इंदौर मॉडल’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर ने औद्योगिक और आर्थिक रूप से काफी तरक्की की है, लेकिन सरकार की मंशा है कि बाकी शहरों को भी इंदौर की तरह विकसित किया जाए। इसके लिए निवेशकों को अन्य जिलों में भी आकर्षित किया जा रहा है और जरूरी बुनियादी सुविधाएं दी जा रही हैं।
GIS 2025: मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां देने की पहल
मुख्यमंत्री ने समिट की उपलब्धियों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश औद्योगिक निवेश का हब बनने की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार निवेशकों को हर संभव सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे आने वाले वर्षों में यह राज्य रोजगार और आर्थिक वृद्धि के मामले में अग्रणी होगा।