नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित रूप से आधी जली हुई नकदी मिलने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। गुरुवार को देश के कई उच्च न्यायालयों की बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश संजीन खन्ना से मुलाकात कर इस मामले में निष्पक्ष जांच और एफआईआर दर्ज करने की मांग की। साथ ही न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले की कॉलेजियम सिफारिश को वापस लेने का अनुरोध किया।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने बार एसोसिएशनों को आश्वासन दिया कि न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले की सिफारिश पर पुनर्विचार किया जाएगा।

बार एसोसिएशनों ने की निष्पक्ष जांच की मांग
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित रूप से जली हुई नकदी मिलने की खबर सामने आने के बाद यह मामला चर्चा में आ गया। इस मामले में पारदर्शिता बरतने की मांग को लेकर इलाहाबाद, लखनऊ, गुजरात, केरल, कर्नाटक और मध्यप्रदेश (जबलपुर) उच्च न्यायालयों के बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और प्रधान न्यायाधीश सहित अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों से मुलाकात की।
एफआईआर दर्ज करने और रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग
बैठक के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि बार एसोसिएशनों ने इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा इस मामले में तैयार की गई रिपोर्ट और अन्य संबंधित दस्तावेजों को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए, जिससे पूरे मामले में पारदर्शिता बनी रहे।
बार एसोसिएशनों ने प्रधान न्यायाधीश के उस निर्णय की सराहना की, जिसमें उन्होंने इस मामले से जुड़े कुछ दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की अनुमति दी थी।
तबादले की सिफारिश पर पुनर्विचार का आश्वासन
बार एसोसिएशनों ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के तबादले की कॉलेजियम सिफारिश को वापस लेने की अपील की, जिस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इस मांग पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
इसके अलावा, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं होती, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने पर विचार करेंगे।
बार एसोसिएशनों की सक्रियता से बढ़ा दबाव
न्यायिक क्षेत्र में सक्रिय वकीलों और बार एसोसिएशनों की इस एकजुटता ने सुप्रीम कोर्ट पर इस मामले में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ा दिया है। वकीलों का मानना है कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक है, ताकि देश की न्यायिक व्यवस्था पर जनता का भरोसा बना रहे।
अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि वह इस मामले में क्या रुख अपनाता है और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के तबादले की सिफारिश को वापस लिया जाता है या नहीं।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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