April 19, 2025 8:41 PM

जस्टिस बीआर गवई होंगे देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश, 14 मई से संभालेंगे पदभार

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नई दिल्ली। भारत को जल्द ही अपना 52वां मुख्य न्यायाधीश (CJI) मिलने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई (Justice B.R. Gavai) 14 मई 2025 से भारत के नए चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई को अपने कार्यकाल की समाप्ति पर सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना, जो वरिष्ठता सूची में जस्टिस गवई के बाद हैं, उन्होंने परंपरा के अनुसार केंद्र सरकार को औपचारिक रूप से जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की है। इस सिफारिश के साथ ही अब उनकी नियुक्ति प्रक्रिया औपचारिक स्तर पर शुरू हो चुकी है।

कौन हैं जस्टिस बीआर गवई?

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई 14 नवंबर 1961 को महाराष्ट्र में जन्मे थे। वे 6 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनाए गए थे और तब से लेकर अब तक वे कई अहम मामलों की सुनवाई कर चुके हैं। वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।

जस्टिस गवई भारत के पहले दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे जिनकी नियुक्ति महाराष्ट्र से हुई है। इससे पहले, 1990 में जस्टिस कन्हैया सिंह पारस दलित समुदाय से पहले CJI बने थे, लेकिन वे बिहार से थे। ऐसे में जस्टिस गवई की नियुक्ति सामाजिक प्रतिनिधित्व की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

न्यायिक करियर

जस्टिस गवई ने नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और 1985 में वकालत शुरू की। वे महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। 2003 में बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। जून 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया। वे संविधान पीठ का हिस्सा रह चुके हैं और उनके कई फैसलों में सामाजिक न्याय, मानवाधिकार और सार्वजनिक हित के मुद्दों को प्रमुखता दी गई है।

क्या है नियुक्ति की प्रक्रिया?

भारत में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति परंपरा और वरिष्ठता के आधार पर होती है। मौजूदा CJI द्वारा केंद्र सरकार को सिफारिश भेजी जाती है। इसके बाद केंद्र राष्ट्रपति की अनुमति से नए मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करता है। इसी प्रक्रिया के तहत अब जस्टिस बीआर गवई का नाम राष्ट्रपति को भेजा गया है।

क्यों है यह नियुक्ति खास?

जस्टिस गवई की नियुक्ति केवल वरिष्ठता या परंपरा की बात नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और न्यायपालिका में विविधता का भी प्रतीक है। वे एक ऐसे वर्ग से आते हैं, जिसे लंबे समय तक न्याय व्यवस्था में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला। ऐसे में उनका CJI बनना कई स्तरों पर ऐतिहासिक है।

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