Trending News

April 19, 2025 7:42 PM

नदियों और जलाशयों को स्वच्छ बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी

  • श्रीराम माहेश्वरी
    भारतीय संस्कृति में जल पूजनीय है। पवित्र नदियों के जल को हम माता के रूप में पूजते हैं। प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया। स्पष्ट है कि पवित्र नदियों के प्रति लोगों की अत्यधिक आस्था है। जैसा कि हम जानते हैं कि धरती का उद्गम जल के गर्भ से हुआ है। मनुष्य के जन्म से ही उसका रिश्ता पानी से हो जाता है, जो मृत्यु पर्यंत तक चलता रहता है। मनुष्य का परिचय नदियों के तटीय स्थानों से होता रहा है। प्राचीन काल से ही मानवीय बसाहट ही नदियों के किनारे स्थापित हुई। आज भी गांवों और नगरों का विकास पानी की उपलब्धता को देखते हुए किया जाता है। कृषि विकास हो या औद्योगिक विकास, इसका आधार पानी ही है। मनुष्य सहित सभी जीव प्राणियों के जीवन का आधार जल ही है।
    बचपन से हमारे संस्कारों में जल का प्रयोग शुरू हो जाता है। पूजन शुरू करते हैं तो देवी देवताओं को जल अर्पित करते हैं। पाठ शुरू करने पर जल का आचमन करते हैं। कलश यात्रा हो या पूजा में रखे जाने वाले जल कलश की बात हो, हर समय जल की पूजा हमारे संस्कारों में रची बसी है । सुबह उठते ही हम नित्य क्रिया करते हैं। स्नान करते हैं, भोजन बनाते हैं । पौधों और खेतों को पानी देते हैं। पशु पक्षियों को जल देते हैं । इस तरह हम देखते हैं कि दिनचर्या की शुरुआत जल से होती है और रात को सोने तक हम जल का उपयोग करते रहते हैं । जल को प्रदूषित करते हैं। जलापूर्ति की पाइप लाइनों में लीकेज कई महीनों तक चलते रहते हैं। इस ओर हमारा ध्यान नहीं जाता है।
    स्वतंत्रता के बाद देश में अनेक बड़े और छोटे बांध बनाए गए। जल संरक्षण की योजनाएं लागू की गई, परंतु आज भी हम देखते हैं कि ग्रीष्मकाल आते ही जलसंकट शुरू हो जाता है। देश के अनेक राज्यों में जल संकट के कारण त्राहिमाम मची रहती है। शुद्ध जल लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। खेतों की प्यास बुझ नहीं पा रही है। प्यास से आम आदमी भी परेशान है। जहां जल स्रोत हैं वहां प्रदूषण बढ़ रहा है। हमने ओद्योगिक विकास की जो राह चुनी उसकी शुरुआत से ही हमने प्रदूषण का ध्यान नहीं रखा, इसलिए यह दुष्परिणाम हमारे सामने आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि है कि दुनिया के 2.1 अरब लोगों को पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है।
    पानी प्राप्त करने के लिए करोड़ों की आबादी ऐसी है, जिसे साफ पानी लेने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। भूगर्भ के जल में आर्सेनिक और यूरेनियम जैसे प्रदूषक तत्त्व बढ़ रहे है, इससे पानी प्रदूषित हो रहा है और प्रदूषित पानी का उपयोग करने से अनेक बीमारियां हो रही हैं।
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram