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February 9, 2025 7:24 AM

स्पेडेक्स मिशन की लॉन्चिंग में बदलाव

**Alt Text:** इसरो के स्पेडेक्स मिशन की लॉन्चिंग, भारत का पहला अंतरिक्ष डॉकिंग परीक्षण, पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के साथ अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यान जोड़ने की प्रक्रिया का परीक्षण।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को अपने विशेष मिशन स्पेडेक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) की लॉन्चिंग में मामूली बदलाव की घोषणा की। पहले यह लॉन्चिंग रात 9:58 बजे तय की गई थी, लेकिन इसे दो मिनट आगे बढ़ाकर अब रात 10:00 बजे किया गया है। हालांकि, इस बदलाव के कारणों का खुलासा इसरो ने नहीं किया है।

इसरो ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपडेट देते हुए कहा, “लॉन्च का दिन आ गया है। आज रात ठीक 10 बजे, स्पेडेक्स मिशन पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के साथ उड़ान भरेगा।”

भारत के लिए स्पेडेक्स की खासियत

स्पेडेक्स मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में मील का पत्थर साबित होने वाला है। अब तक दुनिया में केवल तीन देशों – चीन, रूस और अमेरिका ने ही स्पेस डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की है। यह मिशन इसरो के भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों, उपग्रह सेवा मिशनों, और चंद्रयान-4 जैसे अभियानों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

इस मिशन की सफलता भारत को अंतरिक्ष में अपना स्टेशन बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाएगी। साथ ही, चंद्रमा से सैंपल लाने जैसे जटिल अभियानों के लिए आवश्यक तकनीकी क्षमताओं को भी मजबूत करेगी।


स्पेस डॉकिंग मिशन क्या है और क्यों है यह अहम?

स्पेस डॉकिंग मिशन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की निचली कक्षा में दो अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ने (डॉकिंग) की प्रक्रिया का परीक्षण करना है। इसके साथ ही, जोड़े गए यानों के बीच इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसफर की तकनीक का भी मूल्यांकन किया जाएगा।

मिशन का तकनीकी विवरण

  1. अंतरिक्ष यानों की तैनाती:
  • पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के माध्यम से स्पेसक्राफ्ट ए (एसडीएक्स01) और स्पेसक्राफ्ट बी (एसडीएक्स02) को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
  • लॉन्च के समय, दोनों अंतरिक्ष यानों को लगभग 5 किमी की दूरी पर तैनात किया जाएगा।
  1. स्पेसक्राफ्ट की गति:
  • पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने के बाद, अंतरिक्ष यानों की गति लगभग 28,800 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
  • इस गति को धीरे-धीरे नियंत्रित करके 0.25 किमी प्रति घंटे तक कम किया जाएगा।
  1. डॉकिंग प्रक्रिया:
  • जब गति नियंत्रित हो जाएगी, तब दोनों यानों को सटीकता से जोड़ा जाएगा।
  • यह प्रक्रिया लॉन्च के बाद 10-14 दिनों के भीतर की जाएगी।
  1. तकनीक का महत्व:
  • यह मिशन भविष्य में अंतरिक्ष में साझा अभियानों, उपग्रह सेवा मिशनों और मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानों के लिए उपयोगी होगा।
  • चंद्रयान-4 मिशन के लिए भी इस तकनीक का परीक्षण आवश्यक है, जिससे चंद्रमा से सैंपल धरती पर वापस लाए जा सकें।

लॉन्चिंग और लाइव स्ट्रीमिंग की जानकारी

  • लॉन्चिंग समय:
  • सोमवार, रात 10:00 बजे।
  • सीधा प्रसारण:
  • इसरो के यूट्यूब चैनल पर रात 9:30 बजे से लाइव स्ट्रीमिंग।
  • रॉकेट:
  • पीएसएलवी-सी60।

भारत के लिए अंतरिक्ष डॉकिंग का महत्व

स्पेस डॉकिंग तकनीक का सफल परीक्षण भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह न केवल अंतरिक्ष में मानवयुक्त अभियानों को सशक्त करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान की अग्रणी भूमिका में भी स्थापित करेगा।

यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक निर्णायक कदम साबित होगा।

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