नई दिल्ली। तकनीक के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम के तहत जल्द ही अंतरिक्ष से सीधे स्मार्टफोन के माध्यम से कॉल करना संभव होगा। इस पहल में भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसरो फरवरी या मार्च 2025 में एक अमेरिकी कम्युनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्च करेगा। यह सैटेलाइट अमेरिका की टेक्सास स्थित कंपनी एटीएस स्पेसमोबाइल का है। इस प्रोजेक्ट से अंतरिक्ष से सीधे मोबाइल कॉल्स और इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा मिलने की उम्मीद है।
कॉमर्शियल लॉन्चिंग के लिए इसरो की भूमिका
यह लॉन्च पूरी तरह से व्यावसायिक होगा और इसे इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के माध्यम से अंजाम दिया जाएगा। फिलहाल, अंतरिक्ष से इंटरनेट और वॉयस कॉल की सेवाओं के लिए विशेष हैंडसेट या टर्मिनल की आवश्यकता होती है। इस नई तकनीक से स्मार्टफोन उपयोगकर्ता बिना किसी अतिरिक्त उपकरण के सीधे अंतरिक्ष से कनेक्ट हो सकेंगे।
विशाल एंटीना और उन्नत तकनीक
एटीएस स्पेसमोबाइल के सैटेलाइट का नाम ब्लूबर्ड है। इस सैटेलाइट का ब्लॉक 2 संस्करण लॉन्च किया जाएगा, जिसमें 64 वर्ग मीटर का एंटीना होगा। यह एंटीना फुटबॉल के आधे मैदान के बराबर है और इसे विशेष रूप से अंतरिक्ष से स्मार्टफोन तक सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ब्लूबर्ड सैटेलाइट का वजन लगभग 6,000 किलोग्राम है और इसे पृथ्वी की निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) में स्थापित किया जाएगा। इसरो इस लॉन्च के लिए अपने भरोसेमंद और शक्तिशाली लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम-3) का उपयोग करेगा।
टेक्नोलॉजी का महत्व और प्रतिस्पर्धा
इस सैटेलाइट-आधारित डायरेक्ट टू मोबाइल कनेक्टिविटी टेक्नोलॉजी का सीधा मुकाबला स्टारलिंक और वनवेब जैसी मौजूदा सेवाओं से होगा। ये कंपनियां अंतरिक्ष में बड़े सैटेलाइट नेटवर्क का उपयोग कर ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करती हैं। हालांकि, एटीएस स्पेसमोबाइल का दावा है कि उनकी तकनीक उन्हें दुनिया का पहला और इकलौता अंतरिक्ष-आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क बनाने में सक्षम करेगी।
विशेषज्ञों की राय
इसरो के विशेषज्ञों का मानना है कि एटीएस स्पेसमोबाइल की योजना बड़े सैटेलाइट लॉन्च करने की है, जिससे यह कंपनी छोटे नेटवर्क के माध्यम से भी काम करने में सक्षम होगी। कंपनी के इस प्रयास से वैश्विक स्तर पर मोबाइल फोन नेटवर्किंग में नई संभावनाएं खुलेंगी।
तकनीकी चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि, इस परियोजना को तकनीकी दृष्टिकोण से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे सटीक लॉन्चिंग, सैटेलाइट का सही स्थान पर तैनात होना, और उपभोक्ताओं तक निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना। लेकिन यदि यह प्रयास सफल होता है, तो यह संचार प्रौद्योगिकी में एक मील का पत्थर साबित होगा।
एटीएस स्पेसमोबाइल और इसरो के इस सहयोग से अंतरिक्ष और मोबाइल कनेक्टिविटी के बीच की दूरी समाप्त होगी। यह न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्किंग में भी क्रांति लाएगा।