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February 7, 2025 10:47 AM

जनवरी में 100वें प्रक्षेपण की तैयारी: इसरो प्रमुख एस सोमनाथ

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श्रीहरिकोटा। स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) की सफल लॉन्चिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने अगले महत्वाकांक्षी मिशन की तैयारी शुरू कर दी है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने सोमवार रात इस ऐतिहासिक लॉन्चिंग को मील का पत्थर बताते हुए घोषणा की कि जनवरी में एनवीएस-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) पर लॉन्च करने की योजना है। इसके साथ ही अगले वर्ष के लिए 100वें प्रक्षेपण की तैयारी भी जोर-शोर से जारी है।

एनवीएस-02 मिशन: नए युग की शुरुआत

  • जनवरी में लॉन्च होने वाला एनवीएस-02 उपग्रह भारतीय नेविगेशन प्रणाली (एनएवीआईसी) को और मजबूत करेगा।
  • यह मिशन जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में सैटेलाइट स्थापित करने के लिए जीएसएलवी रॉकेट का उपयोग करेगा।
  • यह उपग्रह स्वदेशी परमाणु घड़ी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगा, जो एनएवीआईसी प्रणाली की सटीकता और विश्वसनीयता को बढ़ाने में सहायक होगी।
  • यह मिशन एनवीएस-01 की सफलता के बाद इसरो के नवाचारों और प्रगति को जारी रखने की दिशा में एक और कदम है।

स्पेडेक्स: सफल प्रयोग और नई संभावनाएं

स्पेडेक्स की सफल लॉन्चिंग ने इसरो के लिए नई तकनीकों के दरवाजे खोल दिए हैं।

  • यह मिशन अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक के विकास की दिशा में किया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
  • एस सोमनाथ ने इसे एक मील का पत्थर बताते हुए कहा कि इससे भविष्य के मानव मिशनों और मॉड्यूलर स्पेसक्राफ्ट के लिए नई संभावनाएं बनेंगी।

चंद्रयान-4: नई जानकारी साझा की गई

इसरो प्रमुख ने चंद्रयान-4 मिशन के बारे में भी जानकारी दी।

  • चंद्रयान-4 में विभिन्न मॉड्यूल शामिल होंगे, जिन्हें अलग-अलग समय पर लॉन्च किया जाएगा।
  • इन मॉड्यूल को पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षाओं में डॉक किया जाएगा।
  • डॉकिंग प्रक्रिया के लिए स्पेसक्राफ्ट के सटीक समन्वय की आवश्यकता होगी।
  • अंतिम डॉकिंग प्रक्रिया को 7 जनवरी तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

एनएवीआईसी प्रणाली का महत्व

  • एनएवीआईसी (नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन) भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम है।
  • यह सिस्टम भारत और उसके आसपास के क्षेत्र में पोजिशनिंग सेवाओं की पेशकश करता है।
  • एनवीएस-02 इस प्रणाली को और उन्नत बनाएगा, जिससे नेविगेशन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में इसका उपयोग अधिक प्रभावी होगा।

इसरो का महत्वाकांक्षी लक्ष्य

  • 2024 में इसरो का 100वां प्रक्षेपण अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका को और मजबूत करेगा।
  • इसरो की महत्वाकांक्षी योजनाएं भारत को स्पेस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति को और सुदृढ़ करने की दिशा में अग्रसर हैं।

निष्कर्ष

स्पेडेक्स और एनवीएस-02 मिशन के साथ इसरो ने अंतरिक्ष अनुसंधान और तकनीक के क्षेत्र में अपनी बढ़त को और मजबूत किया है। इन प्रोजेक्ट्स की सफलता से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयां मिलेंगी, साथ ही यह अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

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