अमेरिका में खाद्य महंगाई पर बढ़ती नाराज़गी के बीच 200 से अधिक वस्तुएँ आयात शुल्क से मुक्त; नई छूट तत्काल लागू

वाशिंगटन, 14 नवंबर। अमेरिका में बढ़ती खाद्य कीमतों को लेकर उपभोक्ताओं के असंतोष ने आखिरकार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा फैसला लेने पर मजबूर कर दिया। शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन ने कॉफी, मीट, केले, संतरे के रस सहित 200 से अधिक आम उपयोग की खाद्य वस्तुओं पर लगाए गए आयात शुल्क (टैरिफ) वापस लेने की घोषणा कर दी। यह नई छूट तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है।

टैरिफ हटाने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब अमेरिका में किराने का सामान लगातार महंगा होता जा रहा है और उपभोक्ताओं की नाराज़गी अब चुनावी मुद्दा बन चुकी है। हाल ही में वर्जीनिया, न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क शहर के स्थानीय चुनावों में डेमोक्रेट उम्मीदवारों की जीत ने भी संकेत दिया कि खाद्य महंगाई मतदाताओं की प्राथमिक चिंता बन चुकी है।

टैरिफ हटाने का कारण—उपभोक्ता नाराज़, कीमतें तेज़ी से बढ़ीं

अमेरिकी उपभोक्ता कई महीनों से किराने की बढ़ती कीमतों को लेकर परेशान हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ वस्तुओं की महंगाई पर आयात शुल्क का सीधा प्रभाव पड़ा है, और आने वाले महीनों में कीमतें और बढ़ सकती थीं क्योंकि कंपनियाँ आयात शुल्क का पूरा बोझ उपभोक्ताओं पर डालतीं।

सितंबर के सरकारी आंकड़ों के अनुसार

मांस 13% अधिक महंगा हुआ,

स्टेक 17% तक बढ़ा, तीन साल में सबसे अधिक,

केले की कीमतें 7% बढ़ीं,

टमाटर 1% महंगे हुए,

घर में उपभोग होने वाले भोजन की कुल लागत 2.7% बढ़ गई।

इन बढ़ोतरी ने आम अमेरिकी परिवारों के बजट पर सीधा असर डाला, जिससे टैरिफ हटाना राजनीतिक रूप से भी ज़रूरी हो गया।

ट्रंप का बयान—“कोई मुद्रास्फीति नहीं, कुछ कीमतें बढ़ीं पर हालात स्थिर”

एयर फ़ोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि:

“इस साल की शुरुआत में लगाए गए आयात शुल्क अमेरिका में मुद्रास्फीति नहीं बढ़ा रहे थे।”

हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ मामलों में कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन समग्र रूप से मुद्रास्फीति को लेकर उनका दावा अलग ही रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधिकारिक डेटा से मेल नहीं खाता।

किन उत्पादों पर हटे टैरिफ?—200 से अधिक आम इस्तेमाल की वस्तुएं

शुक्रवार को जारी सूची में उन वस्तुओं को शामिल किया गया है जिन्हें अमेरिकी परिवार रोजमर्रा में खरीदते हैं। इनमें शामिल हैं—

कॉफी

मांस और स्टेक

केले

संतरे

संतरे का जूस

अकाई बेरीज

कोको

पपरिका

खाद्य उत्पादन में उपयोग होने वाले रसायन

उर्वरक

वेफ़र्स

अन्य बुनियादी उपभोक्ता वस्तुएं

इनमें से कई वस्तुओं की कीमतों में पिछले एक वर्ष में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की गई थी।

अमेरिका मांस उत्पादक होने के बावजूद कीमतें क्यों बढ़ीं?

हालाँकि अमेरिका दुनिया का एक प्रमुख मांस उत्पादक देश है, लेकिन मवेशियों की कमी के कारण हाल के वर्षों में मांस की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी हुई है।
आयात शुल्क ने इस स्थिति को और कठिन बना दिया, जिससे उपभोक्ताओं का असंतोष बढ़ता गया।

नई व्यापार घोषणाएँ—भारत सहित कई देशों से समझौते की तैयारी

ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को नए फ्रेमवर्क व्यापार सौदों की घोषणा की है। इनके लागू होने के बाद—

अर्जेंटीना

इक्वाडोर

ग्वाटेमाला

अल सल्वाडोर

से आने वाली खाद्य वस्तुओं और अन्य आयातों पर टैरिफ समाप्त हो जाएंगे।

अमेरिकी अधिकारी साल के अंत से पहले भारत सहित कई अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत तेज़ करने पर भी काम कर रहे हैं। यह कदम, वैश्विक व्यापार संतुलन और घरेलू महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राजनीतिक संकेत—महंगाई बड़ा चुनावी मुद्दा

स्थानीय चुनावों में मतदाताओं द्वारा खाद्य कीमतों को बड़ा मुद्दा बनाए जाने के बाद यह कदम ट्रंप के लिए राजनीतिक रूप से भी अहम है। अर्थशास्त्री मानते हैं कि यदि टैरिफ हटाने से खाद्य कीमतों में राहत मिलती है, तो यह प्रशासन के लिए राहत का संकेत हो सकता है।

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