नई दिल्ली और वॉशिंगटन में उठाया गया मामला

नई दिल्ली। भारत ने भारतीय नागरिकों को अमेरिकी वीजा जारी करने में हो रही देरी को लेकर अमेरिकी प्रशासन के समक्ष औपचारिक रूप से आपत्ति दर्ज कराई है। यह मुद्दा नई दिल्ली और वॉशिंगटन डीसी दोनों स्थानों पर अमेरिकी अधिकारियों के सामने उठाया गया है। भारत का कहना है कि वीजा प्रक्रिया में लगातार हो रही देरी के कारण भारतीय नागरिकों और उनके परिवारों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसका सीधा प्रभाव शिक्षा, रोजगार और पारिवारिक जीवन पर पड़ रहा है।

विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को साप्ताहिक पत्रकार वार्ता में बताया कि भारत सरकार इस समस्या को लेकर अमेरिकी पक्ष के साथ लगातार संपर्क में है। उन्होंने कहा कि सरकार को बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों से शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें अमेरिकी वीजा अप्वाइंटमेंट को शेड्यूल या रीशेड्यूल करने में अत्यधिक देरी और तकनीकी दिक्कतों की बात कही गई है।

शिक्षा और परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित

रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि इस देरी का सबसे गंभीर असर छात्रों पर पड़ रहा है। कई छात्र समय पर अमेरिका नहीं पहुंच पाने के कारण अपनी पढ़ाई शुरू नहीं कर पा रहे हैं या बीच सत्र में फंस गए हैं। इसके अलावा, वीजा नवीनीकरण के लिए भारत आए पेशेवरों को भी लंबे समय तक यहां रुकना पड़ रहा है, जिससे उनकी नौकरियों और आय पर असर पड़ रहा है। कई मामलों में परिवार भी अलग-अलग देशों में फंसे हुए हैं।

भारत ने अधिकार क्षेत्र का किया सम्मान

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि वीजा जारी करना संबंधित देश का संप्रभु अधिकार होता है और भारत इस तथ्य का सम्मान करता है। इसके बावजूद, भारतीय नागरिकों को हो रही व्यावहारिक परेशानियों को देखते हुए भारत ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है, ताकि इसका समाधान निकाला जा सके और भारतीयों पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।

8 दिसंबर के बाद बढ़ी समस्या

उल्लेखनीय है कि 8 दिसंबर से भारत में स्थित अमेरिकी दूतावासों ने सोशल मीडिया की कड़ी जांच से जुड़ी नई आवश्यकताओं के चलते बड़ी संख्या में एच-1बी और एच-4 वीजा अप्वाइंटमेंट रद्द कर दिए। इसके परिणामस्वरूप हजारों भारतीय पेशेवर और उनके परिजन प्रभावित हुए हैं। कई मामलों में अप्वाइंटमेंट को मार्च से जुलाई 2026 तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया है।

भारत लौटे कर्मचारी फंसे

इस देरी का एक बड़ा असर उन भारतीय कर्मचारियों पर पड़ा है, जो वीजा नवीनीकरण के लिए अमेरिका से भारत लौटे थे। अप्वाइंटमेंट रद्द होने या आगे खिसकने के कारण वे न तो अमेरिका लौट पा रहे हैं और न ही अपने कार्यस्थल पर दोबारा काम शुरू कर पा रहे हैं। इससे न केवल व्यक्तिगत स्तर पर आर्थिक संकट पैदा हो रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के कामकाज पर भी असर पड़ रहा है।

अमेरिकी पक्ष से समाधान की उम्मीद

भारत सरकार ने उम्मीद जताई है कि अमेरिकी प्रशासन इस समस्या को समझते हुए जल्द कोई व्यावहारिक समाधान निकालेगा। विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के बीच मजबूत रणनीतिक और शैक्षणिक संबंध हैं, ऐसे में वीजा प्रक्रिया में आ रही बाधाओं को दूर करना दोनों पक्षों के हित में है।

भारत-अमेरिका संबंधों में संवेदनशील मुद्दा

भारत और अमेरिका के बीच शिक्षा, प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन के क्षेत्र में गहरा सहयोग है। हर साल बड़ी संख्या में भारतीय छात्र और पेशेवर अमेरिका जाते हैं। ऐसे में वीजा देरी का यह मुद्दा द्विपक्षीय संबंधों में एक संवेदनशील विषय बनता जा रहा है, जिस पर दोनों देशों की नजरें टिकी हुई हैं।

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