July 31, 2025 2:10 PM

अध्ययन: अनिद्रा, चिंता और अवसाद से पीड़ितों के दिमाग में तीन प्रमुख गड़बड़ियां पाई गईं

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40000 लोगों के ब्रेन स्कैन से वैज्ञानिकों ने खोजी समानताएं

नई दिल्ली।
अगर आपको लंबे समय से नींद नहीं आती, चिंता घेरे रहती है या मन हमेशा उदास रहता है, तो यह सामान्य मानसिक थकावट नहीं, बल्कि गंभीर न्यूरोलॉजिकल संकेत हो सकते हैं। एक नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि अनिद्रा, चिंता और अवसाद से जूझ रहे लोगों के दिमाग में तीन प्रकार की असामान्यताएं आम तौर पर पाई जाती हैं

यह अध्ययन प्रतिष्ठित नेचर मेंटल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इसमें 40,000 से अधिक लोगों के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण किया गया है। परिणामों ने बताया कि ये मानसिक स्थितियां आपस में इतनी गहराई से जुड़ी हैं कि अब उन्हें अलग-अलग नहीं, बल्कि समान न्यूरोलॉजिकल आधार के रूप में समझना ज़रूरी है।


🔍 तीन आम दिमागी गड़बड़ियां जो सामने आईं

  1. थैलेमस का छोटा आकार
  • थैलेमस दिमाग का वह हिस्सा है जो ध्यान और याददाश्त से जुड़ा होता है। इसका आकार छोटा होने से ध्यान भटकना और भूलने की समस्या सामने आती है।
  1. दिमागी हिस्सों के बीच कमजोर संपर्क
  • दिमाग के विभिन्न हिस्सों का एक-दूसरे से संवाद बाधित हो जाता है, जिससे भावनाओं का प्रोसेसिंग और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
  1. सेरेब्रल कॉर्टेक्स का कम क्षेत्रफल
  • यह दिमाग की बाहरी परत है, जो भाषा, याददाश्त और सोचने की क्षमता को नियंत्रित करती है। इसके सिकुड़ने से अवसाद और संज्ञानात्मक समस्याएं बढ़ जाती हैं।

🧠 मानसिक रोगों की गंभीरता का सीधा संबंध दिमाग की संरचना से

शोधकर्ताओं ने पाया कि इन तीनों असामान्यताओं की मौजूदगी मानसिक बीमारियों की गंभीरता से जुड़ी हुई है। मसलन:

  • डिप्रेशन: जिन लोगों में दिमाग की बाहरी परत पतली पाई गई, उनमें अवसाद ज्यादा गंभीर था।
  • चिंता: एमिग्डाला (डर और खतरे से जुड़ा हिस्सा) की प्रतिक्रिया कमज़ोर थी।
  • अनिद्रा: इनाम और खुशी से जुड़े हिस्सों के छोटे आकार के साथ जुड़ी मिली।

🧪 रासायनिक असंतुलन भी बड़ी वजह

दिमाग में डोपामिन, ग्लूटामेट और हिस्टामिन जैसे न्यूरोकेमिकल्स के ज़रिए जो संचार होता है, वह भी अनियमित पाया गया। इससे भावनात्मक संतुलन, सोच और नींद प्रभावित होती है।


🔬 नई उम्मीद: इलाज की दिशा में अहम कदम

शोधकर्ताओं के अनुसार, ये निष्कर्ष इस दिशा में नई चिकित्सकीय रणनीतियों को जन्म दे सकते हैं। अभी तक मौजूदा दवाएं और थेरेपी पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं। मरीजों में लक्षण लौट आते हैं या लंबे समय तक बने रहते हैं। लेकिन अगर इलाज इन साझा न्यूरोलॉजिकल आधारों को ध्यान में रखकर किया जाए, तो यह अधिक सटीक और दीर्घकालिक राहत देने वाला हो सकता है।


📌 महत्वपूर्ण संदेश

अगर आप या आपके किसी परिचित को लंबे समय से नींद, चिंता या मनोदशा से जुड़ी समस्या है, तो इसे हल्के में न लें। यह केवल मानसिक नहीं, मस्तिष्क संरचना और कार्यप्रणाली से जुड़ा हुआ मामला हो सकता है। विशेषज्ञ से सलाह लेकर उपचार की दिशा में ठोस कदम उठाना जरूरी है।


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