प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले दिनों श्रीलंका के प्रवास पर पहुंचे थे। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का यह दौरा दोनों देशों के आपसी संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। प्रधानमंत्री मोदी की श्रीलंका यात्रा का महत्व इससे ही समझ लीजिए कि इस दौरान दोनों देशों ने महत्वपूर्ण रक्षा समझौता तो किया ही, श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने यह विश्वास भी दिलाया कि उनकी जमीन का इस्तेमाल भारत के सुरक्षा हितों के खिलाफ नहीं होगा। एक तरह से श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारत के पक्ष में खड़े होकर भारत विरोधी ताकतों को संदेश देने का कार्य किया है। दिसानायके का यह बयान भारत के लिए दूरगामी महत्व का है और चीन के लिए तगड़ा झटका है। उल्लेखनीय है कि श्रीलंका को आर्थिक और राजनैतिक संकट में धकेलने के बाद चीन श्रीलंका की जमीन एवं समुद्री क्षेत्र का उपयोग भारत को घेरने के लिए करना चाह रहा था। श्रीलंका में अपनी परियोजनाओं के माध्यम से चीन हिंद महासागर में भारत पर एक घेरा बनाने के प्रयासों में लगा हुआ है। लेकिन अब विश्वास होता है कि भारत सरकार के प्रयास विस्तारवादी चीन के प्रयासों पर पानी फेर देंगे। याद रहे कि सैन्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए किया गया रक्षा समझौता श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के हस्तक्षेप के लगभग चार दशक बाद हुआ है और यह हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है। दोनों देशों ने कुल सात समझौते किए, जिनमें तमिल बहुल त्रिंकोमाली शहर को ऊर्जा के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने का समझौता भी है। ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर समझौता भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुआ है। प्राकृतिक बंदरगाह और ऊर्जा सुविधाओं से युक्त त्रिंकोमाली का भारत के लिए रणनीतिक महत्व है, क्योंकि वहां मजबूत उपस्थिति भारत को पूर्वोत्तर हिंद महासागर में प्रभाव बढ़ाने में सहायता करेगी। दोनों शासनाध्यक्षों ने तकनीकी विकास में साझेदारी के लिए सामपुर सौर ऊर्जा परियोजना का भी डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया। इसके अलावा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए, स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा अनुसंधान में सहयोग के लिए तथा दवा उद्योग में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता हुआ। श्रीलंका में सीता एलिया सहित कई मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए भी भारत ने सहयोग का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति के सामने भारतीय मछुआरों का मुद्दा उठाया और उन्हें तत्काल रिहा करने के लिए कहा। दोनों देशों के शासनाध्यक्ष इस पर सहमत हुए कि मछुआरों के मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। यह देखना सुखद है कि प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप के तत्काल बाद श्रीलंका ने भारतीय मछुआरों को मुक्त कर दिया। भारत और श्रीलंका, दोनों देश परंपरागत मित्र देश हैं। दोनों देशों की साझी विरासत हैं। इसलिए सांस्कृतिक रूप से भी दोनों बहुत समीप हैं। हमें याद रखना चाहिए कि राष्ट्रपति बनने के बाद दिसानायके ने अपने पहले विदेशी दौरे के रूप में भारत को चुना था, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका में राष्ट्रपति दिसानायके के पहले विदेशी मेहमान बने हैं। इस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘मित्र विभूषण’ से सम्मानित किया जाना भी यह बताता है कि दोनों देशों के आपसी संबंध सर्वोपरि हैं। भारत और श्रीलंका के संबंधों में यह अपनत्व एवं विश्वास, दोनों देशों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।