July 4, 2025 2:33 PM

सीजफायर के बीच भारत का बड़ा फैसला: सिंधु जल संधि का निलंबन जारी, अब आतंकवाद पर दो टूक नीति

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नई दिल्ली | 10 मई 2025
भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार शाम से लागू हुआ संघर्षविराम भले ही सीमा पर गोलियों की आवाज़ को थमा गया हो, लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब पुराने ढर्रे पर नहीं लौटेगा। चार दिन तक चले युद्ध जैसे हालातों के बाद भारत ने अपनी शर्तों पर संघर्षविराम स्वीकार किया है—लेकिन एक अहम और निर्णायक रणनीतिक दांव खेलते हुए सिंधु जल संधि के निलंबन को यथावत रखने का ऐलान भी कर दिया है।

✦ भारत की सख्ती: पानी की एक-एक बूंद अब राष्ट्रीय हित से जुड़ी

22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सैन्य और कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान को घेरना शुरू किया था। जवाबी कार्रवाई के पहले कदम के रूप में भारत ने दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित करने का साहसी फैसला लिया था। अब, जब अमेरिका की मध्यस्थता के बाद संघर्षविराम लागू हुआ है, भारत ने साफ कर दिया है कि पानी पर लिया गया फैसला अभी वापस नहीं होगा।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दो टूक कहा:

“सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को छोड़कर विश्वसनीय और स्थायी प्रतिबद्धता नहीं दिखाता। भारत की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा अब किसी संधि के अधीन नहीं होगी।”


✦ पाकिस्तान को गहरा झटका: सूखे की मार और सिंधु पर संकट

भारत के इस फैसले से पाकिस्तान की हालत पहले से ही खस्ता है। सिंधु नदी पर उसकी 70% कृषि निर्भर है और कई शहरों की पेयजल आपूर्ति भी इसी पर टिकी है। जल आपूर्ति की कटौती ने पाकिस्तान में आंतरिक संकट को और गहरा कर दिया है।

पाकिस्तान के कानून मंत्री अकील मलिक ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को अब स्थायी मध्यस्थता न्यायालय, हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय या विश्व बैंक तक ले जाने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को इन तीनों जगहों से तत्काल राहत की कोई उम्मीद नहीं।


✦ क्या है सिंधु जल संधि?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ यह समझौता दुनिया की सबसे सफल जल संधियों में गिना जाता रहा है। इसके तहत भारत को पूर्वी नदियों — ब्यास, रावी और सतलुज — का जल उपयोग करने का अधिकार मिला, जबकि पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चिनाब — पर पाकिस्तान को प्राथमिकता दी गई। इस संधि के तहत भारत को कुल जल का केवल 30% हिस्सा ही मिलता रहा है, जबकि पाकिस्तान को 70% पानी मिल रहा था।

भारत ने हमेशा इस समझौते का सम्मान किया, यहां तक कि 1965 और 1971 के युद्धों में भी इसे नहीं तोड़ा। लेकिन अब, जब पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को रोकने के बजाय भारत पर कायराना हमले करता रहा है, तो भारत ने पहली बार इस ‘पानी की ताकत’ को रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया है।


✦ भारत की नीति में निर्णायक मोड़

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब सिर्फ गोली नहीं, नीति से भी जवाब मिलेगा। सिंधु जल संधि का निलंबन बताता है कि अब भारत की रणनीति बहुआयामी है—सीमा पर सख्ती, कूटनीतिक मंचों पर स्पष्टता और रणनीतिक साधनों का प्रभावी उपयोग।

सीजफायर लागू होने के बावजूद भारत ने अपने पक्ष से किसी ढिलाई का संकेत नहीं दिया है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, यह संघर्षविराम बिना किसी शर्त के हुआ है, लेकिन भारत की आंतरिक नीति आतंकवाद और घुसपैठ को लेकर पहले से ज्यादा स्पष्ट और सख्त हो चुकी है।


✦ आगे क्या?

12 मई को भारत-पाकिस्तान के डीजीएमओ स्तर की बैठक होगी, जिसमें संघर्षविराम की निगरानी और आगे की प्रक्रिया पर चर्चा होगी। लेकिन भारत का रुख साफ है—अब बात तभी होगी जब पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन छोड़कर व्यवहारिक बदलाव लाएगा।



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