नई दिल्ली: भारत रेलवे क्षेत्र में एक नई क्रांति की ओर बढ़ रहा है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में घोषणा की कि भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाईड्रोजन ट्रेन को विकसित करने के लिए आधुनिक परियोजना शुरू कर दी है। यह हाईड्रोजन से चलने वाली ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी और शक्तिशाली ट्रेनों में से एक होगी, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल होगी बल्कि ऊर्जा दक्षता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
रेलवे की हाईड्रोजन ट्रेन परियोजना क्या है?
रेल मंत्री ने बताया कि भारतीय रेलवे ने डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) रैक को हाइड्रोजन ईंधन सेल से रेट्रोफिट कर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस ट्रेन के विकास का काम शुरू किया है। यह ट्रेन पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित की जा रही है और इसका निर्माण अनुसंधान, डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) के निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है।
क्या खास होगी भारत की हाईड्रोजन ट्रेन?
✔ दुनिया की सबसे लंबी हाईड्रोजन ट्रेन: भारत की यह हाईड्रोजन ट्रेन अपने आकार और क्षमता के मामले में दुनिया की सबसे लंबी होगी।
✔ सबसे अधिक शक्ति वाली ट्रेन: यह दुनिया की सबसे अधिक शक्ति (High Power) वाली हाईड्रोजन ट्रेनों में से एक होगी।
✔ पर्यावरण के अनुकूल: हाईड्रोजन ईंधन से चलने वाली यह ट्रेन शून्य कार्बन उत्सर्जन (Zero Carbon Emission) के साथ हरित ऊर्जा (Green Energy) का एक बेहतरीन उदाहरण होगी।
✔ स्वदेशी निर्माण: यह ट्रेन ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत पूरी तरह भारत में विकसित और निर्मित की जाएगी।
हाइड्रोजन उत्पादन और वितरण सुविधा का विकास
रेलवे न केवल हाईड्रोजन ट्रेन का निर्माण कर रहा है, बल्कि इसके लिए हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और वितरण सुविधा भी विकसित की जा रही है। रेल मंत्री के अनुसार, पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) से इस सुविधा के लेआउट को लेकर आवश्यक सुरक्षा अनुमोदन मिल चुके हैं। इसका मतलब है कि जल्द ही भारत में हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेनों के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा।
वाल्टेयर डिवीजन का नाम बदलकर विशाखापत्तनम डिवीजन करने की मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दक्षिण रेलवे के वाल्टेयर डिवीजन का नाम बदलकर विशाखापत्तनम डिवीजन करने को मंजूरी दे दी है। इस बदलाव को औपनिवेशिक नामों से मुक्ति के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि वाल्टेयर एक ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत से जुड़ा नाम था।
वाल्टेयर डिवीजन में क्या बदलाव किए गए?
- वाल्टेयर डिवीजन का एक हिस्सा नए दक्षिण तटीय रेलवे (South Coast Railway – SCoR) के तहत विशाखापत्तनम डिवीजन के रूप में बनाए रखा जाएगा।
- इस डिवीजन में शामिल कुछ महत्वपूर्ण रेलवे सेक्शन:
- पलासा-विशाखापत्तनम-दुव्वाडा
- कुनेरू-विजयनगरम
- नौपाड़ा जंक्शन-परलाखेमुंडी
- बोब्बिली जंक्शन-सलूर
- सिम्हाचलम उत्तर-दुव्वाडा बाईपास
- वडालापुडी-दुव्वाडा
- विशाखापत्तनम स्टील प्लांट-जग्गयापलेम (कुल 410 किमी सेक्शन)
यह फैसला क्षेत्रीय पहचान को मजबूत करने और रेलवे संचालन को और अधिक सुचारू बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।
भारत की पहली हाईड्रोजन ट्रेन देश के रेलवे क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव लाने जा रही है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देगा, बल्कि रेलवे को ऊर्जा-कुशल और सस्टेनेबल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
इसके साथ ही, वाल्टेयर डिवीजन का नाम बदलकर विशाखापत्तनम डिवीजन करने का फैसला भारतीय रेलवे के स्वदेशीकरण और औपनिवेशिक पहचान को हटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।