मेंडोरी के जंगल में आयकर विभाग की दबिश: 52 किलो सोना बरामद, परिवहन विभाग से कनेक्शन की आशंका
भोपाल। मध्यप्रदेश के रियल एस्टेट कारोबारियों पर कार्रवाई के बीच राजधानी भोपाल के मेंडोरी इलाके में आयकर विभाग ने एक बड़ी सफलता हासिल की। गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात में की गई रेड में 52 किलो सोना जब्त किया गया, जिसकी कीमत करीब 40 करोड़ 47 लाख रुपये आंकी गई है। यह सोना एक गाड़ी में लदा हुआ था और इसे प्रदेश से बाहर ले जाने की तैयारी चल रही थी।
रेड की पूरी कहानी
आयकर विभाग को रियल एस्टेट कारोबारियों के खिलाफ चल रही जांच के दौरान मेंडोरी के जंगल में सोने की खेप के बारे में सुराग मिला था। इस सूचना के आधार पर विभाग ने 100 पुलिसकर्मियों और 30 गाड़ियों के काफिले के साथ रात करीब 2 बजे दबिश दी। सोना लदी गाड़ी को मौके पर ही रोक लिया गया, जिससे यह खेप बाहर नहीं जा सकी।
तीन दिन से चल रही जांच का नतीजा
यह कार्रवाई उन रियल एस्टेट समूहों पर की गई छापेमारी का हिस्सा है, जो बीते तीन दिनों से भोपाल और इंदौर के 51 ठिकानों पर जारी थी। इनमें भोपाल के 49 प्रमुख ठिकाने शामिल थे। छापेमारी में त्रिशूल कंस्ट्रक्शन, क्वालिटी ग्रुप और ईशान ग्रुप जैसे बड़े नामों के ठिकानों पर जांच की गई।
नकदी और संपत्ति का खुलासा
इस बड़ी कार्रवाई के दौरान 10 करोड़ रुपये नकद भी बरामद किए गए हैं। आयकर विभाग को शक है कि इस सोने और नकदी का कनेक्शन कुछ आईएएस, आईपीएस अधिकारियों और रियल एस्टेट कारोबारियों से हो सकता है।
परिवहन विभाग से कनेक्शन की आशंका
वहीं, एक अन्य मामले में लोकायुक्त ने भोपाल के रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के घर छापा मारा। इस दौरान 1.15 करोड़ रुपये नकद, आधा किलो सोना, 50 लाख रुपये के जेवरात, और प्रॉपर्टी के दस्तावेज बरामद हुए। शर्मा के ऑफिस से भी 1.70 करोड़ रुपये नकद मिले। इस मामले में आयकर विभाग को उच्च अधिकारियों की संलिप्तता का संदेह है।
मेंडोरी रेड की अहमियत
यह रेड सिर्फ आयकर विभाग के लिए ही नहीं बल्कि राज्य प्रशासन के लिए भी एक बड़ा संदेश है। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि अब बड़े अफसरों और प्रभावशाली कारोबारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी चल रही है।
आगे की जांच और संभावनाएं
आयकर विभाग अब इस बात की तहकीकात कर रहा है कि यह सोना किसका था और इसे कहां ले जाया जा रहा था। इसके साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस मामले में और कौन-कौन शामिल हो सकता है।
यह कार्रवाई मध्यप्रदेश में रियल एस्टेट और सरकारी अधिकारियों के बीच गठजोड़ को उजागर करने का एक बड़ा कदम मानी जा रही है। आने वाले दिनों में और बड़े खुलासों की उम्मीद की जा रही है।