Trending News

May 17, 2025 12:12 PM

महाराष्ट्र में पहली से पांचवीं तक हिंदी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी, शिक्षा नीति 2020 के तहत बड़ा बदलाव

hindi-mandatory-maharashtra-schools-nep-2025

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा शैक्षणिक निर्णय लेते हुए घोषणा की है कि राज्य के सभी स्कूलों में शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से कक्षा पहली से पांचवीं तक हिंदी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया जाएगा। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत लागू किए जा रहे नए पाठ्यक्रम ढांचे के अनुरूप लिया गया है, जो देश भर में शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

अब तक क्या था नियम?

अब तक महाराष्ट्र के स्कूलों में अधिकांश रूप से मराठी और अंग्रेज़ी जैसी दो भाषाएं पढ़ाई जाती थीं। हिंदी को कई स्कूलों में वैकल्पिक विषय के तौर पर रखा जाता था, लेकिन इसे हर छात्र के लिए जरूरी नहीं माना गया था। परंतु, NEP 2020 के “तीन-भाषा फॉर्मूले” के अनुसार, छात्रों को अब तीन भाषाओं में शिक्षा प्राप्त करना अनिवार्य होगा – जिसमें एक क्षेत्रीय भाषा, एक हिंदी/अंग्रेज़ी और तीसरी एक अन्य भाषा शामिल होगी।

शिक्षा का नया ढांचा: 5+3+3+4 प्रणाली लागू

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि नए सत्र से महाराष्ट्र में 5+3+3+4 संरचना पर आधारित शिक्षा प्रणाली लागू होगी। इसका मतलब है कि स्कूली शिक्षा को चार अलग-अलग चरणों में बांटा जाएगा:

  1. फाउंडेशनल स्टेज (5 वर्ष)
  • 3 साल प्री-प्राइमरी (बालवाड़ी)
  • कक्षा 1 और 2
  • इसमें बुनियादी भाषाई और गणितीय दक्षताओं पर फोकस किया जाएगा।
  1. प्रारंभिक स्तर (कक्षा 3 से 5)
  • इस चरण में छात्रों को तीन भाषाओं में शिक्षा दी जाएगी, जिसमें अब हिंदी भी अनिवार्य होगी।
  1. मिडिल स्टेज (कक्षा 6 से 8)
  • विषयों की व्यापकता बढ़ेगी और छात्रों की सोचने-समझने की क्षमता को गहराई दी जाएगी।
  1. सेकेंडरी स्टेज (कक्षा 9 से 12)
  • यहां छात्रों को विषयों में विशेषज्ञता और करियर की दिशा तय करने में मदद मिलेगी।

क्यों लिया गया यह फैसला?

शिक्षा विभाग का कहना है कि यह कदम छात्रों में भाषाई विविधता और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए उठाया गया है। हिंदी, जो देश की संपर्क भाषा मानी जाती है, उसके माध्यम से छात्रों को अन्य राज्यों से जुड़ने का अवसर मिलेगा और आगे की उच्च शिक्षा या प्रतियोगी परीक्षाओं में भी यह उनके लिए सहायक साबित होगी।

लागू करने की योजना

शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से सभी स्कूलों में यह व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से लागू होगी। इसका असर राज्य बोर्ड, CBSE, ICSE और अंतरराष्ट्रीय बोर्ड के स्कूलों पर भी पड़ेगा, जिन्हें नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अपना पाठ्यक्रम पुनः तैयार करना होगा।


Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram