- शिमला गुड़िया हत्याकांड: एक-एक लाख का जुर्माना भी
चंडीगढ़। 2017 में शिमला जिले के कोटखाई में हुए गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपी सूरज की लॉकअप में हत्या के मामले में आईजी सहित सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई है। सीबीआई कोर्ट ने दोषियों से उनकी आखिरी अपील सुनी। मामले में दोषी आईजी आईपीएस जहूर हैदर जैदी व डीएसपी समेत आठ पुलिस जवानों को तीन अलग-अलग धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वहीं, सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
18 जनवरी को सीबीआई कोर्ट ने गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर दोषी करार देने के बाद पुलिस ने जैदी के अलावा तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सतेता को गिरफ्तार कर लिया था जो के अभी बुड़ैल जेल बंद है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को 120-बी में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 302 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 330 में 3 साल 10 हजार जुर्माना, 348 में एक साल व 5 हजार जुर्माना, को 120-बी, 195 में उम्रकैद व 20 हजार जुर्माना, 196 में 3 साल व 10 हजार जुर्माना, 218 में एक साल व 10 हजार जुर्माना और 201 में 1 साल और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
क्या था गुड़िया दुष्कर्म एवं हत्याकांड
शिमला जिले के कोटखाई में 4 जुलाई 2017 को लापता हुई 16 वर्षीय छात्रा का शव कोटखाई के तांदी के जंगल में निर्वस्त्र मिला था। मामले की जांच के लिए शिमला के तत्कालीन आईजी जैदी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी, जिसने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था जिनमें नेपाल मूल का एक युवक सूरज भी शामिल था। नेपाली युवक सूरज की कोटखाई थाने में पुलिस हिरासत के दौरान लॉकअप में मौत हो गई थी। मौत का यह मामला जांच के लिए बाद में हिमाचल पुलिस ने सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ कि सूरज की मौत पुलिस प्रताड़ना के कारण हुई थी। सीबीआई ने दुष्कर्म एवं हत्याकांड की जांच करने वाली एसआईटी के सभी सदस्यों के खिलाफ हत्या की धारा 302 सहित 330, 331, 348, 323, 326, 218, 195, 196, 201, 210बी व 330 के तहत केस दर्ज किया था।