शराब को अक्सर लोग तनाव कम करने, खुशी के मौके पर जश्न मनाने या दिनभर की थकान दूर करने का आसान जरिया मान लेते हैं। कई लोगों को लगता है कि थोड़ी-सी शराब पीने से मन हल्का हो जाता है और नींद भी अच्छी आती है। शुरुआत में यह अनुभव कुछ समय के लिए सही लग सकता है, लेकिन जैसे ही शराब शरीर के अंदर प्रवेश करती है, वैसे ही शरीर के भीतर कई नकारात्मक प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं, जिनका असर धीरे-धीरे गंभीर रूप लेने लगता है।
शराब कोई साधारण पेय नहीं है, बल्कि यह एक नशीला और जहरीला पदार्थ है, जिसे शरीर किसी भी रूप में अपने लिए उपयोगी नहीं मानता। जैसे ही शराब पेट में पहुंचती है, वहां से यह तेजी से खून में मिल जाती है और कुछ ही मिनटों में दिमाग तक पहुंच जाती है। इसके बाद शराब खून के जरिए पूरे शरीर में फैल जाती है और दिमाग, लिवर, किडनी, दिल, पाचन तंत्र और नर्वस सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण अंगों पर असर डालना शुरू कर देती है।
शराब पीने के कुछ ही समय बाद शरीर इसे एक खतरनाक तत्व के रूप में पहचान लेता है और इससे छुटकारा पाने की कोशिश करता है। सबसे पहले लिवर सक्रिय हो जाता है, क्योंकि वही शरीर का मुख्य अंग है जो जहरीले पदार्थों को साफ करने का काम करता है। लिवर शराब को तोड़ने और बाहर निकालने में पूरी ताकत लगा देता है, लेकिन इस प्रक्रिया में शरीर की अन्य जरूरी गतिविधियां धीमी पड़ने लगती हैं। अगर शराब की मात्रा अधिक हो या इसे बार-बार पिया जाए, तो लिवर पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और उसकी कार्यक्षमता कमजोर होने लगती है।
दिमाग पर शराब का असर
शराब का सबसे पहला और गहरा असर दिमाग पर पड़ता है। शराब पीते ही दिमाग की सोचने, समझने और फैसले लेने की क्षमता कमजोर होने लगती है। व्यक्ति को सही और गलत में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि शराब के नशे में लोग ऐसे फैसले कर बैठते हैं, जिनका उन्हें बाद में पछतावा होता है।
लंबे समय तक शराब पीने से याददाश्त कमजोर होने लगती है। ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है और दिमाग धीरे-धीरे सुस्त हो जाता है। कई मामलों में मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, गुस्सा और अवसाद जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। ज्यादा शराब लेने पर दिमाग की कोशिकाएं स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
नर्वस सिस्टम पर गहरा प्रभाव
शराब सीधे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है। शरीर के अंदर संदेश पहुंचाने वाली नसें धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। इसका नतीजा यह होता है कि हाथ-पैरों में झनझनाहट, सुन्नता और कंपन महसूस होने लगता है।
कई लोगों को चलने में संतुलन बनाए रखने में दिक्कत होती है। बोलने में लड़खड़ाहट आती है और प्रतिक्रिया देने की गति धीमी हो जाती है। लंबे समय तक शराब का सेवन नर्वस सिस्टम को इतना कमजोर कर सकता है कि व्यक्ति सामान्य गतिविधियां भी ठीक से नहीं कर पाता।
दिल और रक्त प्रवाह पर असर
शराब पीने से दिल की धड़कन पर भी सीधा असर पड़ता है। शुरुआत में दिल तेजी से धड़कने लगता है, लेकिन लगातार शराब लेने से दिल की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इससे रक्त को पंप करने की क्षमता घटने लगती है।
लंबे समय तक शराब पीने वालों में उच्च रक्तचाप की समस्या आम हो जाती है। इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। दिल से जुड़ी बीमारियां धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती हैं।
लिवर की कहानी सबसे दर्दनाक
लिवर शरीर का वह अंग है जो शराब को तोड़ने और बाहर निकालने का काम करता है। जब शराब की मात्रा सीमित होती है, तब लिवर किसी तरह खुद को संभाल लेता है। लेकिन जैसे ही शराब ज्यादा होने लगती है, लिवर पर बोझ बढ़ जाता है।
शुरुआत में लिवर में चर्बी जमा होने लगती है। इसके बाद सूजन आती है और आगे चलकर लिवर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। लंबे समय तक शराब पीने से लिवर पूरी तरह खराब हो सकता है, जिसे ठीक करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
किडनी पर पड़ने वाला असर
किडनी का काम शरीर से गंदगी और अतिरिक्त पानी बाहर निकालना होता है। शराब किडनी की इस क्षमता को कमजोर कर देती है। शराब पीने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिससे किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
धीरे-धीरे किडनी ठीक से काम करना बंद करने लगती है। पेशाब से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं और शरीर में विषैले तत्व जमा होने लगते हैं। लंबे समय तक शराब लेने से किडनी की गंभीर बीमारी हो सकती है।
पाचन तंत्र कैसे प्रभावित होता है
शराब पाचन तंत्र को भी नुकसान पहुंचाती है। पेट की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचता है, जिससे जलन, दर्द और अपच की समस्या बढ़ जाती है। भूख कम लगने लगती है और शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते।
कई लोगों को उलटी, गैस और दस्त जैसी समस्याएं होती हैं। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे, तो शरीर कमजोर हो जाता है और रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है।
हार्मोन और शरीर का संतुलन पर असर
- हार्मोन संतुलन बिगड़ना
शराब शरीर में मौजूद हार्मोन के संतुलन को बिगाड़ देती है। इससे शरीर की प्राकृतिक कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और कई अंदरूनी प्रक्रियाएं सही तरह से काम नहीं कर पातीं। - नींद की गुणवत्ता खराब होना
शराब पीने से नींद गहरी नहीं रहती। बार-बार नींद टूटती है, जिससे शरीर और दिमाग को पूरा आराम नहीं मिल पाता और अगला दिन थकान से भरा रहता है। - लगातार थकान और सुस्ती
हार्मोन असंतुलन के कारण शरीर में ऊर्जा का स्तर गिर जाता है। व्यक्ति बिना ज्यादा काम किए भी थका हुआ और सुस्त महसूस करता है। - तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ना
हार्मोन प्रभावित होने से मानसिक संतुलन भी बिगड़ता है। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना, बेचैनी और तनाव महसूस होना आम हो जाता है।
लंबे समय में क्या होता है?
अगर शराब पीने की आदत लंबे समय तक बनी रहे, तो शरीर धीरे-धीरे अंदर से टूटने लगता है। बाहर से भले ही व्यक्ति सामान्य दिखे, लेकिन अंदरूनी अंग गंभीर नुकसान झेल रहे होते हैं। कई बार बीमारी तब सामने आती है, जब स्थिति काफी बिगड़ चुकी होती है।
क्या शरीर कभी ठीक हो सकता है?
अगर समय रहते शराब छोड़ दी जाए, तो शरीर खुद को काफी हद तक ठीक कर सकता है। दिमाग, लिवर और किडनी में सुधार संभव है, लेकिन इसके लिए संयम और धैर्य जरूरी है।
निष्कर्ष
जब शराब पीते हैं, तो शरीर का हर अंग अपनी कहानी सुनाने लगता है। दिमाग भ्रमित होता है, लिवर टूटता है, किडनी थक जाती है और दिल कमजोर पड़ता है। अगर स्वस्थ जीवन चाहिए, तो शराब से दूरी ही सबसे सही रास्ता है।
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