प्रेग्नेंसी जीवन का अत्यन्त महत्वपूर्ण चरण है। इस समय माँ के शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं और शिशु का विकास लगातार चलता रहता है। ऐसे में दैनिक आहार न केवल माँ की ऊर्जा के लिये आवश्यक होता है, बल्कि यह शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास को भी सीधे प्रभावित करता है। सही समय पर सही पोषक तत्वों का सेवन माँ और गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा, शक्ति और वृद्धि के लिये अनिवार्य है। इस लेख में हम आँवला, मूंगफली, हरी सब्जियों, प्रोटीन, आयरन जैसे महत्वपूर्ण आहारों के लाभ, दैनिक आहार योजना, और उन 12 चीज़ों की सूची समझेंगे जिन्हें प्रेग्नेंसी में कभी नहीं खाना चाहिए। साथ ही यह भी जानेंगे कि चाय-कॉफ़ी पीना कितना उचित है।
क्यों ज़रूरी है संतुलित प्रेग्नेंसी आहार?
प्रेग्नेंसी में शरीर को सामान्य दिनों की तुलना में अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जैसे आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन, पानी और रेशा। सही भोजन से निम्न लाभ मिलते हैं:
शिशु का बेहतर विकास
खून की कमी से बचाव
थकान और चक्कर आने की समस्या कम
रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत
प्रसव के समय शरीर को पर्याप्त शक्ति
दैनिक आहार योजना – सुबह से रात तक
सुबह खाली पेट
एक गिलास गुनगुना जल
दो से तीन भीगे हुए बादाम
एक चम्मच आँवला रस या ताज़ा आँवला
प्रातः भोजन
हरी सब्जियों का पराठा या दलिया
एक कटोरी दही
फल जैसे सेब, अमरूद या पपीता
मूंगफली के साथ बना पोहा या खिचड़ी (मूंगफली प्रोटीन का अच्छा स्रोत है)
मध्याह्न नाश्ता
अंकुरित दालें
नारियल जल
सादा छाछ
दोपहर भोजन
दाल या चना
दो रोटियाँ
एक कटोरी चावल
सलाद जिसमें गाजर, खीरा, चुकन्दर शामिल हो
एक छोटा टुकड़ा गुड़
शाम का हल्का नाश्ता
भुनी मूंगफली
ताज़ा फल
एक गिलास दूध
रात्रि भोजन
हल्की सब्जी और रोटी
एक कटोरी खिचड़ी या दलिया
सोने से पहले गुनगुना दूध
यह आहार योजना आयरन, प्रोटीन, रेशा और विटामिनों से भरपूर है, जो शिशु के विकास के लिये अत्यन्त आवश्यक हैं। और आहार अपने डॉक्टर की निगरानी में ही खाए।
आँवला क्यों ज़रूरी है?
आँवला प्रेग्नेंसी के दौरान अमूल्य फल माना जाता है क्योंकि:
यह विटामिन-सी से भरपूर होता है
पाचन को मजबूत करता है
खून की कमी दूर करता है
बाल और त्वचा स्वस्थ रखता है
शरीर में सूजन कम करता है
आँवला रस या कच्चे आँवले का सेवन सप्ताह में 3-4 बार करना बहुत लाभकारी होता है।
मूंगफली का महत्व
मूंगफली प्रोटीन, आयरन, रेशा और ऊर्जा का सस्ता और सर्वोत्तम स्रोत है।
इसके लाभ:
शिशु को आवश्यक प्रोटीन मिलता है
शरीर को ऊर्जा मिलती है
खून की कमी कम होती है
घबराहट और कमजोरी में सहायक
ध्यान रखें—यदि मूंगफली से एलर्जी हो तो इसका सेवन न करें।
हरी सब्जियों का स्थान
हरी पत्तेदार सब्जियों में आयरन, कैल्शियम, रेशा और विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं।
पालक, मेथी, बथुआ, सरसों और चौलाई प्रेग्नेंसी के लिये उत्तम हैं।
ये सब्जियाँ:
खून की कमी दूर करती हैं
पाचन सुधारती हैं
शिशु की हड्डियों के विकास में सहायक होती हैं
प्रोटीन क्यों आवश्यक है?
शिशु की कोशिकाओं और माँसपेशियों का विकास प्रोटीन से होता है।
प्रोटीन के स्रोत:
दालें
चना, राजमा
दूध और पनीर
मूंगफली
अंकुरित दालें
हर दिन प्रोटीन का पर्याप्त सेवन आवश्यक है।
आयरन की कमी से बचाव
आयरन की कमी से चक्कर, थकान और सांस फूलने की समस्या बढ़ जाती है।
आयरन के प्राकृतिक स्रोत:
गुड़
चुकन्दर
पालक
दालें
सूखे मेवे
आयरन के साथ विटामिन-सी लेने से उसका अवशोषण बढ़ जाता है, इसलिए आँवला बहुत उपयोगी है।
क्या चाय-कॉफ़ी पीना सही है?
प्रेग्नेंसी में चाय-कॉफ़ी सीमित मात्रा में ही पीनी चाहिए।
सावधानियाँ:
दिन में एक कप से अधिक न पियें
अधिक मात्रा में सेवन करने से हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं
आयरन अवशोषण कम होता है
धड़कन तेज हो सकती है
यदि सम्भव हो तो चाय-कॉफ़ी की जगह छाछ, नारियल जल या नींबू जल लें।
प्रेग्नेंसी में बिल्कुल न खाएँ – ये 12 चीज़ें
अधिक तली-भुनी चीज़ें
कच्चा या अधपका खाना
सड़क किनारे खुले में मिलने वाला भोजन
बासी भोजन
बहुत अधिक नमक
बहुत अधिक मिर्च या मसाले
बोतल वाले पेय
पैकेट वाला नमकीन
सड़ा या अधिक पका फल
बहुत अधिक मिठाई
अत्यधिक चाय या कॉफ़ी
अधिक ठंडा या बर्फ़ वाला पेय
इन चीज़ों से शिशु के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और माँ की सेहत भी कमजोर हो सकती है।
प्रेग्नेंसी में पानी का महत्व
शरीर में जल की कमी शिशु तक पोषक तत्व पहुँचने की प्रक्रिया में बाधा डालती है।
प्रतिदिन कम से कम 8-10 गिलास जल अवश्य पियें।
नियमित दिनचर्या
हल्की सैर
गहरी साँस के अभ्यास
तनाव से दूरी
ये सभी शिशु और माँ दोनों के लिये लाभकारी हैं।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी के दौरान सही आहार, सुरक्षित दिनचर्या और गलत चीज़ों से दूरी माँ और शिशु दोनों की सेहत के लिये अत्यन्त आवश्यक है। आँवला, मूंगफली, हरी सब्जियाँ, प्रोटीन और आयरन से भरपूर भोजन शिशु के विकास को तेज़ करता है। वहीं तली-भुनी और अधपकी चीज़ें शरीर को नुकसान पहुँचाती हैं। सही जानकारी, संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या से यह समय अधिक सुखद और स्वास्थ्यवर्धक बन सकता है। और आहार अपने डॉक्टर की निगरानी में ही खाए।
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