आज की तेज रफ्तार जीवनशैली में बच्चे भी बड़ों की नकल बहुत जल्दी सीख लेते हैं। घर में जब माता-पिता या बड़े सदस्य चाय या कॉफी पीते हैं, तो बच्चे भी उसी कप की ओर आकर्षित हो जाते हैं। कई बार प्यार में या यह सोचकर कि थोड़ी सी चाय या कॉफी से क्या ही होगा, माता-पिता बच्चों को इसका स्वाद चखा देते हैं। लेकिन यही छोटी सी आदत आगे चलकर बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन सकती है।
बचपन वह समय होता है जब शरीर, दिमाग और नर्वस सिस्टम तेजी से विकसित हो रहा होता है। इस उम्र में लिया गया भोजन और पेय पदार्थ बच्चों की शारीरिक और मानसिक नींव तैयार करता है। चाय और कॉफी में मौजूद उत्तेजक तत्व बच्चों के कोमल शरीर के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं होते। इसका असर तुरंत दिखाई न दे, लेकिन लंबे समय में इसके दुष्परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि छोटे बच्चों को चाय-कॉफी क्यों नहीं देनी चाहिए, इसका असर उनके फोकस, नर्वस सिस्टम और ब्रेन विकास पर कैसे पड़ता है, और माता-पिता को किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
चाय-कॉफी बच्चों के शरीर पर कैसे असर करती है
चाय और कॉफी में मौजूद तत्व वयस्कों के लिए तो सीमित मात्रा में ठीक हो सकते हैं, लेकिन बच्चों के लिए यही तत्व नुकसानदायक बन जाते हैं। बच्चों का शरीर इन उत्तेजक पदार्थों को ठीक से सहन नहीं कर पाता, क्योंकि उनका पाचन तंत्र और नर्वस सिस्टम अभी पूरी तरह विकसित नहीं होता।
जब बच्चा चाय या कॉफी पीता है, तो उसका शरीर जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो जाता है। इससे दिल की धड़कन तेज होना, बेचैनी, नींद न आना और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। लगातार ऐसा होने पर बच्चे का सामान्य व्यवहार प्रभावित होने लगता है।
ब्रेन डेवलपमेंट पर पड़ता है सीधा असर
बचपन में दिमाग का विकास सबसे तेजी से होता है। इसी समय बच्चों की याददाश्त, सोचने की क्षमता, समझ और निर्णय लेने की शक्ति बनती है। चाय और कॉफी का नियमित सेवन इस प्राकृतिक विकास प्रक्रिया में रुकावट डाल सकता है।
चाय-कॉफी दिमाग को अस्थायी रूप से सक्रिय जरूर करती है, लेकिन बच्चों के मामले में यह जरूरत से ज्यादा उत्तेजना पैदा कर देती है। इससे दिमाग को आराम नहीं मिल पाता और उसकी प्राकृतिक विकास गति प्रभावित होती है। लंबे समय तक ऐसा होने पर बच्चे की सीखने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
बिगड़ता है फोकस और एकाग्रता
कई माता-पिता यह सोचते हैं कि चाय या कॉफी पीने से बच्चा ज्यादा सतर्क रहेगा और पढ़ाई में ध्यान लगाएगा, लेकिन सच्चाई इसके उलट है। चाय-कॉफी से मिलने वाली ऊर्जा बहुत अस्थायी होती है।
शुरुआत में बच्चा ज्यादा एक्टिव महसूस कर सकता है, लेकिन कुछ समय बाद उसका फोकस टूटने लगता है। पढ़ाई के दौरान ध्यान भटकना, बार-बार उठना, बेचैनी महसूस करना और एक जगह न बैठ पाना इसी का परिणाम हो सकता है। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है।
नर्वस सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव
बच्चों का नर्वस सिस्टम बेहद संवेदनशील होता है। चाय और कॉफी इसमें असंतुलन पैदा कर सकती है। इसका असर बच्चों की भावनाओं, व्यवहार और प्रतिक्रिया देने की क्षमता पर साफ नजर आने लगता है।
ऐसे बच्चों में गुस्सा जल्दी आना, छोटी-छोटी बातों पर रोना, डर लगना या जरूरत से ज्यादा उत्साहित रहना जैसी समस्याएं देखी जाती हैं। धीरे-धीरे यह आदत बच्चों के मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
नींद की गुणवत्ता होती है खराब
अच्छी नींद बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी होती है। चाय और कॉफी नींद को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारणों में से एक हैं।
जो बच्चे दिन में या शाम के समय चाय-कॉफी पीते हैं, उन्हें रात में नींद आने में परेशानी होती है। बार-बार नींद टूटना या गहरी नींद न आना उनके विकास को धीमा कर सकता है। नींद की कमी से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ती है।
भूख और पाचन पर असर
चाय-कॉफी बच्चों की भूख को दबा देती है, जिससे वे पौष्टिक भोजन कम खाने लगते हैं।
जरूरी पोषक तत्व न मिलने से शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है।
चाय-कॉफी पाचन तंत्र पर नकारात्मक असर डालती है और पेट की गड़बड़ी बढ़ाती है।
बच्चों में पेट दर्द, गैस और अपच की समस्या होने लगती है।
लंबे समय तक सेवन करने से कब्ज जैसी परेशानी भी बढ़ सकती है।
आदत बनने का खतरा
बचपन में डाली गई आदतें जीवनभर साथ चलती हैं। अगर बच्चा छोटी उम्र से चाय या कॉफी का आदी हो जाता है, तो आगे चलकर इसे छोड़ना उसके लिए मुश्किल हो सकता है।
बड़ी उम्र में यही आदत तनाव, नींद की समस्या और पाचन संबंधी परेशानियों का कारण बन सकती है। इसलिए शुरुआत में ही इस पर रोक लगाना जरूरी है।
माता-पिता क्या करें
माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के सामने चाय-कॉफी का सेवन सीमित रखें और बच्चों को इसके नुकसान के बारे में सरल भाषा में समझाएं। बच्चों को दूध, फल, घर के बने पेय और पौष्टिक आहार की ओर प्रोत्साहित करें।
घर का माहौल ऐसा बनाएं जहां स्वस्थ आदतें सामान्य मानी जाएं। बच्चों के लिए माता-पिता का व्यवहार ही सबसे बड़ा उदाहरण होता है।
निष्कर्ष
छोटे बच्चों को चाय-कॉफी देना भले ही एक छोटी बात लगे, लेकिन इसका असर लंबे समय तक पड़ता है। फोकस की कमी, नसों पर दबाव और दिमागी विकास में रुकावट जैसी समस्याएं बच्चे के पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।
समझदारी इसी में है कि बच्चों को शुरुआत से ही प्राकृतिक और पोषक चीज़ों की आदत डाली जाए, ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बन सकें।
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