अब हर साल बनेगा 6 से 12 स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, भारत की स्पेस इकॉनॉमी को मिलेगा बूस्ट
नई दिल्ली/बेंगलुरु।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम कर ली है। ISRO और IN-SPACe ने HAL को भारत का छोटा रॉकेट यानी स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) बनाने का जिम्मा सौंपा है। इस फैसले के साथ HAL अब देश की तीसरी रॉकेट निर्माता कंपनी बन गई है।
इससे पहले हैदराबाद की स्काईरूट एयरोस्पेस और चेन्नई की अग्निकुल कॉसमॉस जैसे निजी स्टार्टअप्स ही रॉकेट निर्माण में सक्रिय थे। लेकिन अब देश की सबसे प्रतिष्ठित सरकारी एयरोस्पेस कंपनी HAL ने भी इस क्षेत्र में कदम रखकर एक नया अध्याय शुरू किया है।
कैसे मिला HAL को रॉकेट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट?
HAL ने 511 करोड़ रुपए की बोली लगाकर यह कॉन्ट्रैक्ट अपने नाम किया। इस प्रक्रिया में बेंगलुरु की अल्फा डिजाइन और हैदराबाद की भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) भी दौड़ में थीं। पहले चरण में 9 कंपनियों में से 6 को शॉर्टलिस्ट किया गया था और फिर अंतिम चयन के लिए एक्सपर्ट कमेटी ने HAL को चुना। इस कमेटी में पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन जैसे विशेषज्ञ शामिल थे।
कॉन्ट्रैक्ट के तहत HAL को 511 करोड़ में से एक हिस्सा शुरुआती भुगतान के रूप में देना होगा और बाकी राशि अगले दो वर्षों में चुकाई जाएगी।

अब HAL का अगला मिशन क्या होगा?
अब ISRO अगले दो साल तक SSLV टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर HAL को करेगा। इस दौरान HAL को दो प्रोटोटाइप रॉकेट तैयार करने होंगे। पहले दो वर्षों में HAL को ISRO की सप्लाई चेन और मौजूदा डिजाइन का ही पालन करना होगा।
लेकिन दो साल बाद HAL अपने निर्माण संसाधन और सप्लाई चेन खुद चुन सकेगी। भविष्य में HAL हर साल 6 से 12 SSLV रॉकेट तैयार करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जो अंतरराष्ट्रीय मांग और बाजार पर निर्भर करेगा।
क्या है SSLV और क्यों है इतना खास?
स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) एक छोटा और किफायती रॉकेट है, जो 500 किलो तक के सैटेलाइट को 400-500 किलोमीटर की लो-अर्थ ऑर्बिट तक पहुंचा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे तेज़ी से और कम लागत में लॉन्च किया जा सकता है।
इससे भारत को कमर्शियल स्पेस लॉन्च की होड़ में बड़ा फायदा मिलेगा। दुनिया भर में छोटे सैटेलाइट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है और SSLV इस जरूरत को पूरा करने में बेहद सक्षम है।
भारत के लिए क्या मायने रखता है यह कॉन्ट्रैक्ट?
यह कॉन्ट्रैक्ट भारत के स्पेस सेक्टर में निजी भागीदारी को एक नया आयाम देगा। आज भारत का ग्लोबल स्पेस बाजार में सिर्फ 2% हिस्सा है, लेकिन केंद्र सरकार का लक्ष्य इसे अगले एक दशक में 44 अरब डॉलर (करीब 3.8 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचाना है।
HAL जैसे अनुभवी डिफेंस और एयरोस्पेस निर्माता की एंट्री से भारत अब छोटे रॉकेट लॉन्च की ग्लोबल रेस में तेज़ी से आगे बढ़ेगा।
HAL की नई पहचान: फाइटर जेट से लेकर रॉकेट तक
HAL भारत की अग्रणी डिफेंस कंपनी है जो तेजस फाइटर जेट, ध्रुव हेलिकॉप्टर और कई डिफेंस सिस्टम्स बना चुकी है। अब रॉकेट निर्माण की शुरुआत के साथ HAL स्पेस सेक्टर में भी बड़ी ताकत बनकर उभर रही है।
यह कदम न सिर्फ HAL को नई ऊंचाई देगा, बल्कि भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी को आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा।
शेयर बाजार में हलचल: HAL के शेयर चढ़े
इस खबर के बाद निवेशकों में उत्साह देखने को मिला। HAL का शेयर 1.18% बढ़कर 4,960 रुपए पर बंद हुआ। पिछले 6 महीनों में शेयर ने 18% रिटर्न दिया है। हालांकि बीते एक साल में शेयर में 6.21% की गिरावट भी देखी गई है, लेकिन मौजूदा खबर से कंपनी में फिर से तेज़ी आने की उम्मीद है।
मार्केट कैप: अब HAL का मार्केट कैप 3.32 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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