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February 8, 2025 9:09 AM

अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट: ग्वालियर में 32 दिन घर में कैद रहा बीएसएफ इंस्पेक्टर, साइबर ठगों ने वसूले 71.25 लाख रुपये

"ग्वालियर में बीएसएफ इंस्पेक्टर की 32 दिन तक डिजिटल अरेस्ट, साइबर ठगों ने 71.25 लाख रुपये की ठगी की"

ग्वालियर, मध्यप्रदेश: ग्वालियर में अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट मामला सामने आया है, जिसमें बीएसएफ के एक इंस्पेक्टर को साइबर ठगों ने 32 दिन तक अपने ही घर में कैद रखा और उससे 71.25 लाख रुपये की बड़ी रकम ठग ली। पीड़ित बीएसएफ इंस्पेक्टर का नाम अबसार अहमद है, जो बीएसएफ टेकनपुर में पदस्थ है। ठगों ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारी बताकर उसे इस तरह फंसाया कि उसने अपनी पूरी संपत्ति बेच डाली और ठगों को पैसे ट्रांसफर कर दिए।

ठगी की शुरुआत और फंसने का तरीका:

2 दिसंबर 2024 को सुबह 11:29 बजे, बीएसएफ इंस्पेक्टर अबसार अहमद के पास फोन आया, जिसमें ठगों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए कहा कि वह एक बड़े साइबर अपराध से जुड़े मामले में उनकी मदद करना चाहते हैं। ठगों ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वह किसी जांच का हिस्सा हैं और मामले को सुलझाने के लिए उन्हें पैसे की आवश्यकता है। धीरे-धीरे ठगों ने इंस्पेक्टर को डराया और उन्हें विश्वास दिलाया कि यदि उन्होंने उनकी मदद नहीं की, तो उन्हें गंभीर कानूनी परिणाम भुगतने होंगे।

इन ठगों ने अबसार अहमद को इतना डराया कि उन्होंने अपनी ज़मीन और दिल्ली में स्थित फ्लैट बेचने के लिए सौदे किए और उन्हें एडवांस के रूप में पैसे देने लगे। इसके अलावा, उन्होंने अपनी बैंक सेविंग्स और दोस्तों से उधार लेकर भी पैसे दिए। इस दौरान उन्होंने 34 अलग-अलग ट्रांजैक्शंस के माध्यम से 71.25 लाख रुपये की बड़ी रकम ठगों को ट्रांसफर की।

पुलिस को हुई शिकायत:

2 जनवरी 2025 को, इंस्पेक्टर अबसार अहमद ने अपने बेटे से फोन पर बात की, जिसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो गए हैं। इसके बाद, उन्होंने तुरंत एक हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत की और मामले की जानकारी पुलिस को दी। 5 जनवरी को पीड़ित इंस्पेक्टर ग्वालियर पुलिस अधीक्षक (एसपी) धर्मवीर सिंह से मिले और उन्हें अपने साथ हुई ठगी की पूरी घटना बताई। एसपी ने तुरंत मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू कर दी।

ठगों द्वारा की गई ठगी का तरीका:

ठगों ने इंस्पेक्टर को इतना डरा दिया था कि वह लगातार एक महीने तक उनके संपर्क में रहे और उनकी हर मांग को पूरा करते गए। ठगों ने वीडियो कॉल के माध्यम से उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वह सही अधिकारी हैं, और यही तरीका था जिससे उन्होंने इंस्पेक्टर को 71.25 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए। इसके साथ ही, उन्हें धमकी दी गई कि यदि उन्होंने पैसे नहीं दिए, तो उन्हें और उनके परिवार को बड़े कानूनी संकटों का सामना करना पड़ेगा।

पुलिस कार्रवाई:

ग्वालियर पुलिस ने 5 जनवरी को मामला दर्ज कर लिया और साइबर ठगों की पहचान के लिए जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने अब तक कई सुरागों के आधार पर ठगों के बारे में जानकारी जुटाई है, और उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी भी शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह ठगी का सबसे बड़ा मामला है और इसे हल्के में नहीं लिया जाएगा।

यह मामला डिजिटल ठगी की बढ़ती हुई गंभीरता को दर्शाता है, जिसमें साइबर अपराधी पूरी तरह से पेशेवर तरीके से काम कर रहे हैं और लोगों को झांसा देकर बड़ी रकम वसूल रहे हैं। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे साइबर अपराध से बचने के लिए सतर्क रहें और किसी भी अनजान व्यक्ति के संपर्क में आने पर तुरंत पुलिस से संपर्क करें।

यह घटना दर्शाती है कि डिजिटल ठगी के मामले अब बेहद जटिल हो चुके हैं और कोई भी व्यक्ति इनका शिकार बन सकता है। यह भी एक चेतावनी है कि हम सभी को अपनी ऑनलाइन सुरक्षा और सतर्कता को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसे साइबर ठगों से बचा जा सके।

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