भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) के दौरान मानव संग्रहालय परिसर में एक विशेष सांस्कृतिक गांव बनाया गया, जो निवेशकों और उद्योगपतियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया। इस सांस्कृतिक गांव में प्रदेश की समृद्ध लोक कलाओं, हस्तशिल्प, पारंपरिक खिलौनों और पेंटिंग्स का भव्य प्रदर्शन किया गया।
इस पहल का उद्देश्य न केवल मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना है, बल्कि निवेशकों को प्रदेश के कला और पर्यटन क्षेत्र में निवेश के अवसरों से भी अवगत कराना है। समिट में आए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेलीगेट्स और उद्योगपतियों ने इस सांस्कृतिक गांव की सराहना की और इसे एक अनूठा अनुभव बताया।
मध्यप्रदेश की समृद्ध कला और हस्तशिल्प का प्रदर्शन
सांस्कृतिक गांव में प्रदेशभर से आए कलाकारों और शिल्पकारों को अपने हुनर का प्रदर्शन करने का अवसर मिला। यह प्रदर्शनी मिट्टी के खिलौनों, लकड़ी की नक्काशी, पारंपरिक बुनाई, धातु कला, पारंपरिक रजाई और रंगीन पेंटिंग्स से सजी थी।
✔ प्रदर्शनी में शामिल प्रमुख कलाएं:
- मिट्टी के खिलौने: पारंपरिक शैली में बने अद्भुत हस्तनिर्मित खिलौने
- लकड़ी की कारीगरी: सुंदर नक्काशीदार फर्नीचर और सजावटी सामान
- धातु कला: पारंपरिक धातु शिल्प से निर्मित आभूषण और सजावटी वस्तुएं
- बुनाई और पारंपरिक रजाई: हाथ से बुने हुए वस्त्र और कढ़ाईदार रजाइयां
- रंगीन पेंटिंग्स: गोंड आर्ट, भील आर्ट, पिथोरा पेंटिंग जैसी जनजातीय कलाकृतियां
यह प्रदर्शनी निवेशकों और पर्यटकों को मध्यप्रदेश की समृद्ध कला, परंपरा और हस्तशिल्प से जोड़ने का एक प्रयास था, जिससे कलाकारों को नए बाजार मिल सकें और प्रदेश की कला को वैश्विक पहचान मिल सके।


जनजातीय कला और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां बनीं आकर्षण का केंद्र
इस सांस्कृतिक गांव में मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदायों की पारंपरिक कला और शिल्प को भी प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया। आदिवासी कलाकारों ने अपनी पारंपरिक पेंटिंग्स, हस्तनिर्मित आभूषण, लकड़ी और मिट्टी की कलाकृतियां प्रस्तुत कीं, जिन्हें निवेशकों और पर्यटकों ने खूब सराहा।
✔ प्रदर्शनी में शामिल जनजातीय कलाएं:
- गोंड और भील पेंटिंग्स – मध्यप्रदेश की पारंपरिक आदिवासी चित्रकला
- पारंपरिक आभूषण – धातु और मोतियों से बनीं हस्तनिर्मित ज्वेलरी
- मिट्टी और लकड़ी की कलाकृतियां – पारंपरिक डिजाइन में गढ़ी गई मूर्तियां और सजावटी वस्तुएं
- हस्तनिर्मित कपड़े और वस्त्र – बघेलखंड और निमाड़ क्षेत्र की बुनाई
इसके अलावा, सांस्कृतिक गांव में जनजातीय नृत्य और संगीत प्रस्तुतियां भी आयोजित की गईं, जिसमें गोंड, भील, कोरकू और बैगा समुदायों के कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और संगीत के जरिए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


उद्योगपतियों ने की सांस्कृतिक गांव की सराहना
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शामिल हुए देश-विदेश के उद्योगपतियों और निवेशकों ने सांस्कृतिक गांव का भ्रमण किया और मध्यप्रदेश की ललित कलाओं, हस्तशिल्प और जनजातीय कला की प्रशंसा की।
✔ उद्योगपतियों के प्रमुख बयान:
- संजीव पुरी (आईटीसी ग्रुप) – “मध्यप्रदेश की लोक कलाएं और जनजातीय शिल्प अद्भुत हैं। हमें इस क्षेत्र में निवेश के अवसरों को तलाशना चाहिए।”
- नादिर गोदरेज (गोदरेज ग्रुप) – “यह पहल राज्य की संस्कृति को सहेजने और कलाकारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करेगी।”
- विनीत मित्तल (एवीएडा ग्रुप) – “मध्यप्रदेश में पर्यटन और हस्तशिल्प क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं हैं।”

सांस्कृतिक जागरूकता और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस पहल का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और निवेशकों को इस क्षेत्र में अवसर प्रदान करना था। राज्य सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में भी निवेश को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई हैं, जिससे स्थानीय कलाकारों, शिल्पकारों और बुनकरों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके।
✔ सांस्कृतिक गांव के लाभ:
- मध्यप्रदेश की लोक कलाओं और हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी
- जनजातीय कलाकारों और शिल्पकारों को अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे
- पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी
- निवेशकों को कला, संस्कृति और पर्यटन में निवेश के अवसर मिलेंगे
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सांस्कृतिक गांव ने मध्यप्रदेश की समृद्ध कला और संस्कृति को वैश्विक मंच प्रदान किया। लोक कला, हस्तशिल्प, जनजातीय पेंटिंग्स और पारंपरिक नृत्य-संगीत का यह अद्भुत प्रदर्शन न केवल उद्योगपतियों और निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रहा, बल्कि मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को भी नई पहचान दिलाने का महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुआ।
इस पहल से राज्य में पर्यटन, हस्तशिल्प और संस्कृति आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय कारीगरों और कलाकारों के जीवन स्तर में सुधार होगा। 🎨✨