April 19, 2025 9:15 PM

पूर्व जज निर्मल यादव 17 साल बाद भ्रष्टाचार के आरोप से बरी, सीबीआई अदालत का बड़ा फैसला

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चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति निर्मल यादव को 17 साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले में शनिवार को विशेष सीबीआई अदालत ने बरी कर दिया। इस मामले में उनके साथ तीन अन्य आरोपियों रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी दोषमुक्त कर दिया गया। यह फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश न्यायमूर्ति अलका मलिक ने सुनाया।

कैसे सामने आया था मामला?

यह विवाद अगस्त 2008 में उस समय चर्चा में आया, जब पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर के आवास पर 15 लाख रुपये की नकदी से भरा एक पैकेट पहुंचाया गया। आरोप लगाया गया था कि यह पैसा असल में न्यायमूर्ति निर्मल यादव के घर भेजा जाना था, लेकिन गलती से यह न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर के घर पहुंच गया

कैसे हुआ खुलासा?

13 अगस्त 2008 को एक व्यक्ति न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर के आवास पर 15 लाख रुपये की नकदी लेकर पहुंचा। जब उसने यह रकम सौंपी, तो इस पर संदेह हुआ और पुलिस को बुलाया गया। शुरुआती जांच के बाद मामला चंडीगढ़ पुलिस ने दर्ज किया और फिर यूटी प्रशासक एसएफ रोड्रिग्स के निर्देश पर इसे सीबीआई को सौंप दिया गया

सीबीआई जांच में क्या सामने आया?

सीबीआई की जांच में पाया गया कि यह रकम हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल ने भेजी थी। बंसल ने यह नकदी अपने चपरासी प्रकाश राम के माध्यम से दिल्ली से चंडीगढ़ भेजी थी। जब यह पैसा गलत पते पर पहुंच गया, तो मामले का खुलासा हो गया।

मामले में कौन-कौन थे आरोपी?

इस केस में पांच लोग आरोपी बनाए गए थे:

  1. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) निर्मल यादव
  2. रविंदर सिंह भसीन
  3. राजीव गुप्ता
  4. निर्मल सिंह
  5. संजीव बंसल (पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता, जिनकी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई)

अदालत ने क्यों किया बरी?

सीबीआई की ओर से आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया था। हालांकि, सीबीआई अदालत ने पाया कि आरोपों के समर्थन में पर्याप्त सबूत नहीं हैं और इस वजह से सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया

मामले का असर और निष्कर्ष

यह मामला न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से जुड़ा होने के कारण काफी विवादास्पद रहा। इस दौरान न्यायमूर्ति निर्मल यादव को न्यायपालिका से सेवानिवृत्ति के बाद कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। अब 17 साल बाद अदालत ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया, जिससे यह मामला समाप्त हो गया।

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