मूडीज़ ने दिखाया भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा, 2025 में 7% और 2026 में 6.5% वृद्धि की संभावना

नई दिल्ली, 14 नवंबर। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज़ रेटिंग्स ने भारत की आर्थिक प्रगति पर सकारात्मक आकलन जारी करते हुए कहा है कि देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर वर्ष 2025 में 7 फीसदी और 2026 में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। यह आकलन एजेंसी द्वारा जारी नवीनतम वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में शामिल किया गया है, जिसकी आधार वर्ष प्रणाली 2011-12 पर आधारित है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की विकास दर को बुनियादी ढांचे पर बढ़ते सरकारी निवेश, घरेलू उपभोग में मजबूती, और संतुलित मुद्रास्फीति का महत्वपूर्ण समर्थन मिल रहा है। हालांकि, निजी क्षेत्र अभी भी पूंजीगत निवेश को लेकर सतर्क रुख अपनाए हुए है, जिसका आगामी वर्षों की विकास गति पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है।

जी-20 देशों में भारत रहेगा सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था

मूडीज़ (Moody's Report) ने कहा कि वर्ष 2026 और 2027 के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 फीसदी के आसपास की दर से आगे बढ़ती रहेगी।
कम मुद्रास्फीति, स्थिर नीतिगत रुख और घरेलू मांग में निरंतर सुधार से भारत आने वाले वर्षों में जी-20 देशों के बीच सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ देश बना रहेगा।

एजेंसी ने यह भी कहा कि घरेलू बाज़ार की मजबूती और निर्यात के विविधीकरण से भारत को दीर्घकालीन लाभ मिलेगा।
2024 में भारत की वृद्धि दर 6.7 फीसदी रही थी, जिसके 2025 में बढ़कर 7 फीसदी तक पहुंचने की संभावना जताई गई है।

चीन की अर्थव्यवस्था 2025 में बढ़ेगी, लेकिन उसके बाद होगी धीमी

मूडीज़ ने चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर भी महत्वपूर्ण अनुमान जारी किए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में चीन की आर्थिक वृद्धि 5 फीसदी तक रहने की संभावना है, जिसे सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं और मजबूत निर्यात से समर्थन मिलेगा।

लेकिन 2027 तक चीन की जीडीपी वृद्धि दर धीरे-धीरे घटकर 4.2 फीसदी तक गिर सकती है।
एजेंसी ने चेतावनी दी है कि चीन के भीतर रियल एस्टेट संकट, घटती आंतरिक मांग, और जनसंख्या संरचना में तेजी से हो रहे बदलाव आने वाले वर्षों में उसकी आर्थिक क्षमता पर असर डाल सकते हैं।

वैश्विक विकास दर 2026-27 में रहेगी कम

मूडीज़ के वैश्विक आकलन के अनुसार

2024 में वैश्विक वृद्धि दर 2.9 फीसदी रही

2025 में इसके 2.6 फीसदी रहने का अनुमान

2026 और 2027 में वैश्विक जीडीपी वृद्धि 2.5 से 2.6 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद

यह वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती और भू-राजनीतिक तनावों का संकेत माना जा रहा है।

भारत के लिए यह अनुमान क्यों महत्वपूर्ण है?

लगातार तीन वर्षों तक 6.5–7% की वृद्धि भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाएगी

बुनियादी ढांचे में हो रहा निवेश अगले वर्षों में रोज़गार और उद्योग को गति देगा

नियंत्रित मुद्रास्फीति और स्थिर मुद्रा नीति से बाज़ार में भरोसा बढ़ेगा

भारत की स्थिति चीन की धीमी होती अर्थव्यवस्था के मुकाबले अधिक मजबूत दिख रही है

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि निजी निवेश में भी तेजी आती है, तो भारत की वास्तविक वृद्धि मूडीज़ के आकलन से भी अधिक हो सकती है।

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